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मांगे दे देते थे इस प्रकार आपने पुरे कपडे मार्केट में छोटी सी उम्र में अपनी विशिष्ठ साख स्थापित की।
माणक सा. व्यापार में दिव्य दृष्टा थे। कई वर्ष तक वे कपडे के व्यवसाय में रत थे लेकिन उन्हे कपडे के व्यापार में उधारी का चलन कतई पसन्द नहीं था इसलिये वे दुसरे मौको की तलीश में रहते थे । १९७० से शेयर मार्केट में रस रखने लगे थे । जब १९८३ में उन्हे पता चला कि मनुभाई माणकलाल जो कि मार्केट के दादा कहलाते थे । वो उभरती उम्र के नेमिष शाह के साथ मिलकर ENAM FINANCE नाम की कम्पनी खोलने जा रहे थे, तब उन्होने अपने प्रिय छोटे भाई वल्लभ के लिये तुरंत प्रस्ताव रखा कि वह भी जुड जाये । कुछ वक्त बाद शेयर मार्केट में ENAM के पाँव जमने लगे तो वे भी ENAM के बुलंदियों में पहुँचाने और पूरी तरह से शेयर मार्केट में जुट गए । इस तरह उन्होने कपडे के व्यापार से निजात पायी । यह उनकी कुशाग्रता ही थी कि उन्होने थोडे वक्त के बाद यह अनुभव किया कि भागीदारी उसी रूप में चलने वाली नहीं थी - यद्यपि उपर से अत्यंत सफल दिखती थी। उनके आग्रह पर नेमिष ने उससे परिवर्तन कुबूल किया । इस परिवर्तन के कारण भागीदारी आज भी कायम है । यह ज्ञातत्व है कि ENAM के नए आदर्शो, नई प्रमाणिकता के साथ उच्चतम मापदण्ड पर एक नया स्थान हाँसिल किया, जिसकी आज तक देश मे मिसाल दी जाती है। उन्होने शेयर बाजार में रह कर भी कभी कोई Hotel या जिसके उत्पाद मे NonVeg का उपयोग हो या शराब इत्यादि का उपयोग हो में कभी निवेश नहीं किया न हि वे किसी को उस बारे में सलाह देते थे ।
साधारणतया मार्केट में व्यापारी अपने सौदे या रुख को गुप्त रखते हैं। यह आवश्यक भी है क्योंकि 'जो जल्दी करे, इसीकी चाँदी हो' ऐसा यह मार्केट है। लेकिन माणेक सा. बडे उदार मन से लोगों को अपनी राय देते थे, अपना नुकसान कर के भी लोगों को बचाते थे। या नफा कराकर प्रसन्न होते थे । यद्यपि, वे तकनीकी रूप से (जैसे सी.ए. इत्यादि) शिक्षित नहीं थे, फिर भी अपनी सूझ-बूझ के कारण मार्केट में बडे-से-बडे व्यापारियों का भी भरपूर सम्मान पाते थे।
शेयर मार्केट की Arbitration कमिटी में उन्होने महत्त्वपूर्ण काम किया और कई पेचीदा विवाद सुलझाए । साधारणतया, Arbitrator का पद धन्यवाद
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