Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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किस तरह? छह द्रव्यों के भेद जीवद्रव्य के चलाचल प्रात्मप्रदेश पुदगल त्र्य चल है २३ पुदगल वगंगानों का निरूपण पुद्गल के मादरबादर प्रादि ६ भेद स्कन्ध, स्कन्धदेश, प्रदेश, परमाणु ६ व्रव्यों के उपकार परमाणु के बन्ध का निरूपण अविभाग प्रतिच्छेद का स्वरूप पंचास्तिकाय नौ पदार्थ पुण्य जीव व पापजीब प्रत्येक गुणास्थान में जीवसंख्या मान, वेद, प्रबगाहन प्रादि की अपेक्षा
एक समय में विभिन्न क्षपकों की संख्या सकलसंयमी की संख्या प्रधम ४ गुणस्थानों के प्रवहार काल पुण्य व पापप्रकृतिया पुष्य का स्वरूप पुण्य मोक्ष का हेतु है पास्रव संवर आदि का लक्ष्य सायिक सम्यक्त्व प्ररूपण क्षायोपशम सम्यक्त्व प्ररूपण उपशम समकित : पांच लविध
आदि का निरूपण सासादन सम्यक्त्व मिथ्यात्व लक्षण सम्यक्त्वमार्गमा में जीवसंख्या
६५३ संही मार्गणा : स्वरूप व संख्या
प्राहार मार्गणा : स्वरूप व स्वामी ६५८
सात समुद्घातों का सोदाहरण म्वरूप केवली समहामात का इन पाटि
समुद्घातों की दिशा ६६६ माहारक/पनाहारक काल ६७० प्राहारमार्गणा में जीवसंख्या ६७१ उपयोग अधिकार : साकार व अनाकार
उपयोग
उपयोग के ८,४ भेद ६५० उपयोगाधिकार में जीव संख्या ५८२ प्रमतर्भावाधिकार ६८३ मार्गणानों में गुणस्थान ६८५ एकेन्द्रियों में श्रतशान
सियों में क्षायिक पारित्र है ६६२ गुरणस्थानों में जीवसमास ६६३ गुणस्थानों में पर्याप्ति व प्राण
गुणस्थानों में संज्ञा ६६६
गुणस्थानों में मार्गरणाएं गुरणस्थानों में उपयोग मालपाधिकार गुणस्थानों में मालाप मागंणामों में भालाप १६, ३८, ५७ जीवसमास कुछ नियम
द्वितीयोपशमी के मनःपर्यय है ७१८ द्वितीयोपशम कहाँ उत्पन्न होता है ?
सिद्धों का स्वरूप ७१९ ] २० भेदों के ज्ञान का उपाय व फल
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