Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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मनःपर्य यहान : स्वरूप भेद मादि उत्पत्ति के प्रात्मप्रदेश कहाँ ऋजु विपुलमति में भेद मनःपर्यय का विषय रूपी पदार्थ ऋजुमति का जघन्य उत्कृष्ट द्रव्य विपुलमति का द्रव्य इन दोनों के क्षेत्र दोनों मनःपर्ययों के काल व भाव केवलज्ञान ज्ञानमार्गणा में जीवसंख्या संयम मार्गणा लक्षगा व हेतु पांच संयमों की उत्पमि संयम ४ ही हैं संयमासंयम पांचों मयमों का स्वरूप देशसंयम का स्वरूप प्रसंगप्राप्त ५ अणुव्रनों का चरणानुयोगीय
५६२ ५६३ ५६७
५३२
६०४
विभिन्न गतियों में द्रव्यलेश्या परिमारण व संक्रमण अधिकार कुछ मध्यम अंश सभी लेश्यामों में
समान हैं ३२१ लेश्याकर्म के ६ दष्टान्त
६ लेश्या वालों के स्वभाव
लेश्याओं के २६ अंश ५२५ अपकर्ष स्वरूप
पाठ मध्यम अंश का नक्शा ८ मध्यम ग्रंथों के नाम तथा खुलासा
किस लेश्या बाला किस गति में जावे ५३० पारों गतियों में कहाँ कौन लेश्या
लेश्या (द्रव्य व भाव) का हेतु लेण्या में जीवों की संख्या अल्पबहुत्व
लेण्या क्षेत्र ५४१ ! ७ समुद्घात का स्वरूप
लेश्या में स्पर्श ५४२ लेश्यायों का काल ५४६ लेश्याओं में अन्तर
मलेण्य मिद्धों का स्वरूप भव्य मार्गणा : स्वरूप व जीवसंख्या सम्यक्त्वमार्गणा : लक्षण सम्यक्त्व के इस भेद छह द्रव्य निरूपण छह द्रव्यों में रूपी-अरूपी छह द्रव्यों के लक्षण परमाणु, १ समय में १४ राजू जाता है काल के समय, प्रावली आदि भेद पावली का प्रसंध्यातवाँ भाग भी __ अन्समुहूर्त है
६ मास ८ समय में ६०८ जीव मुक्त ५७३ अर्थ व व्यजन पर्याय ५७६ द्रव्यों का प्राचार ५७७ : छोटे से लोक में सब जीवों का समावेश
१०६ ६१०
६१५
६२०
५५०
६२५
६२८ ६२६
तीन गुणवत शिक्षात्रत शिक्षाबतों के नाम विभिन्न प्राचार्यो
के मत से गणारह प्रतिमामों का स्वरूप असंयत का स्वरूप संयम मार्गणा में जीव दर्शनमार्गणा : लक्षण दर्शन सामग्राही है प्रनात्मज्ञता का दूषण किसे ? शान में दर्शन अधिक है। सभी दर्शनों का स्वरूप दर्शनमार्गणा में जीवसंख्या लेण्यामार्गणा : लक्षण लेण्या के भेद लश्या के बर्ग
६४२
६४५
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६५२
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