Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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पर्याप्त न नियत्वास ग्रन्त महतं में अपर्याप्त के भव । ममुद्घात केवली की अपर्याप्तता पर ऊहापोह १६५ लकष्यपर्याप्तक आदि में गुणस्थान . हुण्डावसपिगगी में भी स्त्री में सम्यक्त्वी
उत्पन्न नहीं होते प्राण प्ररूपणा अधिकार प्राण लक्षगा भेद, उत्पति की
सामग्री, स्वामी प्रादि संज्ञा अधिकार संज्ञा का लक्षगण व भेद माहारादि संजात्रों के हेतु लक्षण गुशास्थान आदि
१८५ मागंणा-महाधिकार मार्गणा-निरुक्त्यर्थ तथा संख्या
१८८ १४ मार्गणानों के नाम मान्तर मगंगाएँ
१६५ गति-मार्मणा प्ररूपणा मरगति का स्वरूप
१६ आयु, लेण्या, नरक-दुःख नरक में गुगाम्थान : गत्यागति कौन किम नरक तक जाते हैं लियंच गति-स्वरूप मुख-दुः, अन्तर, गुणास्थान तथा जीवसमाम
२०२ । मनुष्य गति : स्वरूप, क्षेत्रसीमा
२०५ मनुष्य गति के दुःख
२०७ तिर्यंचों तथा मनुष्यों के भेद
२०६ देवमति --स्वरूप देवों में दु:ख देवों के भेद व ग्रायु सिधश
२१२ चारों गतियों के जीवों की पथाक्रम संख्या २१४ इन्द्रियमार्गणा निशक्त्यर्थ
इन्द्रियों के भेद व स्वरूप इन्द्रियों का विषयक्षेत्र इन्द्रियों द्वारा प्राप्त अर्थ का ग्रहगा इन्द्रियों का प्राकार व प्रवगाहना अनिन्द्रिय (सिद्ध) एकन्द्रियादि जीवों की संख्या कायमार्गमा भेद, वर्ण पादि ३६ प्रकार की पृथ्वी पृथ्वी, पृथ्वी काय, पृथ्वीकामिक, पृथ्वी जीव सूक्ष्म व बादर में भेद चार स्थाबरों को अवगाहना वनस्पतिकायिक स्वरूप भेद आदि साधारण का स्वरूप (विस्तृत निरूपण) षोडशपदिक अल्पबहत्व नित्यनिगोद अस: स्वरूप, भेद, क्षेत्र कौन-२ निगोदहिन शरीर हैं प्रस व स्थाबरों के प्राकार प्रादि कायमार्गगा में संस्था पोगमार्गणा लक्षण तीनों योगों का स्वरूप स्थित (भाट मध्य के) जीयप्रदेशों में
भी कर्मबन्ध योग प्रौदयिक भाव है। योगों के भेद वचन योग व भेद दस सत्य वचन अनुभय वचन ४ मनोनचनयोग वा हेतु सयोग केवली के मनोयोग श्रौदारिक, मिथ काययोग वैक्रियिक, मिश्र कावयोग आहारक, साहारक मिश्र
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