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with fear seeing the approaching ascetics; (3) they will suddenly rush away from that place and their disorderly movement could cause harm to other beings like the air-bodied beings; and (4) this change of place could cause their being caught and even killed by some cruel person. (Vritti leaf 340)
भिक्षार्थ जाते हुए स्थान व अंगोपांग संचालन - विवेक
३२. से भिक्खू वा २ जाव पविहे समाणे णो गाहावइकुलस्स दुवारसाहं अवलंबिय २ चिट्टेज्जा, णो गाहावइकुलस्स दगछड्डणमेत्तए चिट्ठेज्जा, णो गाहावइकुलस्स चंदणिउयए चिट्ठेज्जा, णो गाहावइकुलस्स सिणाणस्स वा वच्चस्स वा संलोए सपडिदुवारे चिट्ठेज्जा, णो आलोयं वा थिग्गलं वा संधिं वा दगभवणं वा बाहाओ परिज्झिय २ अंगुलियाए वा उद्दिसिय २ ओणमिय २ उण्णमिय २ अवणमिय २ णिज्झाएज्जा । णो गाहावई अंगुलियाए उद्दिसिय २ जाएज्जा, णो गाहावई अंगुलियाए चालिय २ जाइज्जा, णो गाहावई अंगुलियाए तज्जिय २ जाएज्जा, णो गाहावई अंगुलियाए उक्खुपिय २ जाइज्जा, णो गाहावई वंदिय २ जाएज्जा, णो वयणं फरुसं वइज्जा ।
३२. आहारादि के लिए गृहस्थ के घर में जाते हुए भिक्षु या भिक्षुणी उसके घर के दरवाजे की चौखट (शाखा) पकड़कर खड़े न हों, उस गृहस्थ के बर्तनों का धोया गन्दा पानी फेंकने के स्थान पर खड़े न हों, न उनके हाथ-मुँह धोने या पीने का पानी बहाये जाने की जगह खड़े हों, और न ही स्नानगृह, पेशाबघर या शौचालय के सामने अथवा निर्गमन - प्रवेश द्वार पर खड़े हों। उस घर के झरोखे आदि को, मरम्मत की हुई दीवार आदि को, दीवारों की सन्धि को तथा पानी रखने के स्थान को बार-बार भुजाएँ फैलाकर या अंगुलियों से बार-बार उनकी ओर संकेत करके, शरीर को ऊँचा उठाकर या नीचे झुकाकर, न तो स्वयं देखे और न दूसरे को दिखाए तथा गृहस्थ (दाता) को अंगुलि से ( वस्तु की ओर ) बार-बार संकेत करके याचना न करे और न ही अँगुलियाँ बार-बार चलाकर या अँगुलियों से भय दिखाकर गृहपति से याचना करे । इसी प्रकार अँगुलियों से शरीर को बार-बार खुजलाकर या गृहस्थ की प्रशंसा करके आहारादि की याचना न करे और कभी (न देने पर) गृहस्थ को कठोर वचन न कहे।
CODE OF MOVEMENT AND PLACE
32. A bhikshu or bhikshuni while entering the house of a layman in order to seek alms should not stand holding the side of door-sill, at the place where dirty water after washing utensils
पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana: Frist Chapter
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