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नौवें अध्ययन का नाम 'निषीधिका' है।
'निषीधिका' शब्द भी शास्त्रीय पारिभाषिक शब्द है । यों तो निषीधिका का सामान्य रूप से अर्थ होता है - बैठने की जगह । प्राकृत शब्द कोष में निषीधिका के निशीथिका, नैषेधिकी आदि रूपान्तर तथा श्मशान भूमि, शव - परिष्ठापन भूमि, बैठने की जगह, पापक्रिया के त्याग की प्रवृत्ति, स्वाध्याय भूमि, अध्ययन स्थान आदि अर्थ मिलते हैं । ( पाइअ - सद्द - महण्णवो, पृ. ४१४ ) प्रस्तुत प्रसंग में निषधिका या निशीथिका दोनों का प्रयोग स्वाध्याय भूमि अर्थ में ही अभीष्ट है। स्वाध्याय के लिए ऐसा ही स्थान अभीष्ट होता है, जहाँ जनता की भीड़, कलह, कोलाहल, कर्कश स्वर, रुदन आदि अशान्तिकारक बातों व गन्दगी, मल-मूत्र, कूड़ा डालने आदि निषिद्ध व्यापारों का निषेध हो । जहाँ चिन्ता, शोक, आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान, मोहोत्पादक रागरंग आदि कुविचारों का प्रभाव न हो । दिगम्बर आम्नाय में प्रचलित 'नसीया' नाम इसी 'निसीहिया' शब्द का अपभ्रष्ट रूप है।
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निषीधिका : नवम अध्ययन
आमुख
आचारांग सूत्र (भाग २)
वह निषीधिका ('स्वाध्याय भूमि' ) कैसी हो ? वहाँ स्वाध्याय करने हेतु कैसे बैठा जाए ? कहाँ बैठा जाए ? कौन-सी क्रियाएँ वहाँ न की जाएँ ? कौन-सी की जाएँ ? इत्यादि स्वाध्याय भूमि से सम्बन्धित क्रियाओं का निरूपण होने के कारण इस अध्ययन का नाम 'निषीधिका' या 'निशीथिका' रखा गया है।
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Acharanga Sutra (Part 2)
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