Book Title: Agam 01 Ang 02 Acharanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 519
________________ ___ (ख) एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सव्वटेहिं सहिए ॐ समिए सदा जए, सेयमिणं मण्णेज्जासि। -त्ति बेमि। ॥ षष्ठं सत्तिक्कयं सम्मत्तं ॥ ॥ तेरसमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ३४१. (क) यदि कोई गृहस्थ शुद्ध वाग्बल (मंत्र-बल) से साधु की चिकित्सा करना चाहे अथवा वह गृहस्थ अशुद्ध मंत्र-बल से साधु की व्याधि उपशान्त करना चाहे अथवा वह गृहस्थ किसी रोगी साधु की चिकित्सा सचित्त कंद, मूल, छाल या हरी को खोदकर या खींचकर, बाहर निकालकर या निकलवाकर चिकित्सा करना चाहे तो साधु उसे मन से भी नहीं चाहे और न ही वचन से कहकर या काया से चेष्टा करके कराए। ___ यदि साधु के शरीर में उग्र वेदना हो तो (यह विचार करके उसे समभाव से सहन करे कि) समस्त प्राणी, भूत, जीव और सत्त्व अपने किये हुए अशुभ कर्मों के अनुसार कटुक वेदना का अनुभव करते हैं। (ख) यह पर-क्रिया से विरति ही उस साधु या साध्वी का समग्र आचार सर्वस्व है, जिसके लिए समस्त इहलौकिक-पारलौकिक प्रयोजनों से युक्त तथा ज्ञानादि सहित एवं समितियों से समन्वित होकर सदा प्रयत्नशील रहे और इसी को अपने लिए श्रेयस्कर समझे। ___ -ऐसा मैं कहता हूँ। CENSURE OF TREATMENT WITH MANTRA OR MEDICINE ____341. (a) In case some householder intends to cure an ascetic with the power of pure or impure mantra, or some sachit bulbous root, stalk, bark or plants by digging or pulling these out or getting these dug or pulled out, the ascetic should avoid that para-kriya with mind, speech and body. If the ascetic is suffering great pain (he should tolerate it with equanimity thinking that) all beings, organisms, souls and entities suffer grave pain according to their bad deeds. (b) This (renouncing para-kriya) is the totality (of conduct including that related to knowledge) for that bhikshu or bhikshuni. And so should he pursue with self-regulations believing these to be beneficial for him. -So I say. * पर-क्रिया-सप्तिका : त्रयोदश अध्ययन ( ४६५ ) Para-Kriya Saptika : Thirteenth Chapter Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636