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आया
जओ णं पभिइ इमे कुमारे तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिंसि गब्भे आहूए तओ णं पभिइ
इमं कुलं विपुलेणं हिरण्णेणं सुवण्णेणं धणेणं धण्णेणं माणिक्केणं मोत्तिएणं ., संख-सिल-प्पवालेणं अतीव-अतीव परिवड्ढति, तो होउ णं कुमारे वद्धमाणे।
३५२. जब से भगवान महावीर त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षि में गर्भरूप में आये, तभी से उस कुल में प्रचुर मात्रा में चाँदी, सोना, धन, धान्य, माणिक्य, मोती, शंख, शिला और प्रवाल (मूंगा) आदि की अत्यन्त अभिवृद्धि होने लगी।
श्रमण भगवान महावीर के माता-पिता ने भगवान महावीर के जन्म के दस दिन व्यतीत हो जाने के बाद ग्यारहवें दिन अशुचि-निवारण करके शुचीभूत होकर प्रचुर मात्रा में अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य पदार्थ बनवाये। चतुर्विध आहार तैयार हो जाने पर उन्होंने अपने मित्र, ज्ञाति, स्वजन और सम्बन्धी-वर्ग को आमंत्रित किया। इसके पश्चात् उन्होंने बहुत से शाक्य आदि श्रमणों, ब्राह्मणों, दरिद्रों, भिक्षाचरों, भिक्षाभोजी, शरीर पर भस्म रमाकर भिक्षा माँगने वालों आदि को भी भोजन कराया, उनके लिए भोजन सुरक्षित रखाया, कई लोगों को भोजन दिया, याचकों में दान बाँटा। इस प्रकार शाक्यादि भिक्षाजीवियों को भोजनादि का वितरण करवाकर अपने मित्र, ज्ञाति, स्वजन, सम्बन्धी-जन
आदि को भोजन कराया। उन्हें भोजन कराने के पश्चात् उनके समक्ष नामकरण के सम्बन्ध में इस प्रकार कहा-“जिस दिन से यह बालक त्रिशलादेवी की कुक्षि में गर्भरूप से आया, उसी दिन से हमारे कुल में प्रचुर मात्रा में चाँदी, सोना, धन, धान्य, माणिक, मोती, शंख, शिला, प्रवाल आदि पदार्थों की अतीव अभिवृद्धि हो रही है। अतः इस कुमार का गुण सम्पन्न नाम-'वर्द्धमान' हो।" NAMING CEREMONY
352. Since Shraman Bhagavan Mahavir descended into the womb of Trishala Kshatriyani his clan saw a continuous upsurge in its wealth; this included silver, gold, wealth, grains, rubies, pearls, conch-shells, rocks, coral etc.
Ten days after the birth of Shraman Bhagavan Mahavir, on the eleventh day, the parents of Bhagavan Mahavir performed the post child-birth purification rituals and arranged for staple food, liquids, general food and savoury food in large quantity. They invited friends, relatives, family members and kin-folk. They offered, allotted and distributed food to many people भावना : पन्द्रहवाँ अध्ययन
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Bhaavana : Fifteenth Chapter
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