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१० कोटाकोटि सागरोपम तक समस्त पदार्थों के वर्णादि एवं सुख की क्रमशः वृद्धि होती जाती है। अतः यह उत्क्रान्ति काल-उत्सर्पिणी काल माना जाता है। __ प्रत्येक अर्द्ध-काल में ६-६ आरक (आरे) होते हैं। अवसर्पिणी काल के ६ आरक इस प्रकार हैं-(१) सुषम-सुषम, चार कोटाकोटि सागरोपम, (२) सुषम तीन कोटाकोटि, (३) सुषम-दुषम दो कोटाकोटि, (४) दुषम-सुषम ४२ हजार वर्ष कम एक कोटाकोटि, (५) दुषम २१ हजार वर्ष,
और (६) दुषम-दुषम २१ हजार वर्ष परिमित काल का होता है। अवसर्पिणी काल का छठा आरा समाप्त होते ही उत्सर्पिणी काल का प्रारम्भ हो जाता है। इसके ६ आरे इस प्रकार हैं(१) दुषम-दुषम, (२) दुषम, (३) दुषम-सुषम, (४) सुषम-दुषम, (५) सुषम, और (६) सुषमसुषम। प्रस्तुत में अवसर्पिणी काल के क्रमशः ३ आरे समाप्त होने पर चतुर्थ आरे का प्रायः भाग समाप्त हो चुका था, उसमें केवल ७५ वर्ष, ८ महीने और १५ दिन शेष रह गये थे, तभी भगवान महावीर गर्भ में अवतरित हुए थे।
Elaboration-Jain scriptures provide a detailed description of progressive cycles of time. Every cycle is of 20 kotakoti sagaropam (a superlative conceptual measure of time) duration. One cycle is divided into two parts—Avasarpini descending cycle of time and Utsarpini ascending cycle of time. During the descending cycle of time the qualities of things and happiness of beings gradually decline for 10 kotakoti sagaropam; that is why this period of degeneration or regression is called avasarpini or descending cycle. In the same way during the ascending cycle of time the qualities of things and happiness of beings gradually improve for 10 kotakoti sagaropam; that is why this period of improvement or progress is called utsarpini or ascending cycle.
Each ascending and descending cycle of time is divided into six Ara (spoke) or epoches or phases. The six phases of the descending cycle are—(1) Susham-Susham of four kotakoti sagaropam, (2) Susham of three kotakoti sagaropam, (3) Susham-Dusham of two kotakoti sagaropam, (4) Dusham-Susham of fourteen thousand years less in one kotakoti sagaropam, (5) Dusham of twenty one thousand years, and (6) Dusham-Dusham of twenty one thousand years. When the descending cycle ends the ascending cycle begins. The six phases of this cycle are—(1) Dusham-Dusham, (2) Dusham, (3) Dushamआचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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