Book Title: Agam 01 Ang 02 Acharanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 466
________________ ३०३. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा माणुसरंधणाणि वा महिसकरणाणि वा वसभकरणाणि वा अस्सकरणाणि वा कुक्कुडकरणाणि वा मक्कडकरणाणि वा लावयकरणाणि वा वट्टयकरणाणि वा तित्तिरकरणाणि वा कवोयकरणाणि वा कपिंजलकरणाणि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि ( थंडिलंसि ) णो उच्चार- पासवणं वोसिरेज्जा । ३०३. साधु-साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहाँ मनुष्यों के भोजन पकाने के चूल्हे आदि सामान रखे हों तथा भैंस, बैल, घोड़ा, मुर्गा या कुत्ता, लावक पक्षी, बत्तख, तीतर, कबूतर, कपिंजल ( पक्षी - विशेष) आदि के आश्रय स्थान हों, ऐसे तथा अन्य इसी प्रकार के किसी पशु-पक्षी के आश्रय स्थान हों, तो इस प्रकार के स्थण्डिल में मल-मूत्र का विसर्जन नहीं करे | 303. A bhikshu or bhikshuni should find if in a sthandil stoves for cooking food for humans are lying or other such things are lying; there are resting places for buffalo, ox, horse, cock, dog, lavak bird, duck, partridge, pigeon, kapinjal (a type of cuckoo ) bird or other such bird and animal. If it is so, such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal. ३०४. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा वेहाणसट्ठाणेसु वा गिद्धपट्ठट्ठाणेसु वा तरुपवडणट्ठाणेसु वा मेरुपवडणट्ठाणेसु वा विसभक्खणट्ठाणेसु वा अगणिफंडय (पक्खंदण ? )ट्ठाणेसु वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि ( थंडिलंसि ) णो उच्चार- पासवणं वोसिरेज्जा । ३०४. साधु-साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जहाँ फाँसी पर लटकाने के स्थान हों, गृपृष्ठमरण - गीध के सामने पड़कर मरने के स्थान हों, वृक्ष पर से गिरकर मरने के स्थान हों, पर्वत से झंपापात करके मरने के स्थान हों, विष भक्षण करने के स्थान हों या दौड़कर आग में गिरने के स्थान हों, ऐसे और अन्य इसी प्रकार के मृत्युदण्ड देने या आत्म-हत्या करने के वाले स्थण्डिल हों तो वैसे स्थण्डिलों में मल-मूत्र का त्याग नहीं करे। 304. A bhikshu or bhikshuni should find if a sthandil has spots for persons being hanged; spots for dying by falling like a vulture (from great heights); spots for dying by falling from a tree; spots from where one can fall due to vertigo and die; spots आचारांग सूत्र (भाग २) ( ४१६ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only Acharanga Sutra (Part 2) www.jainelibrary.org

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