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convenient to take poison; spots where one can run and jump into a fire; or other such spots which could be used for execution or suicide. If it is so, such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal.
३०५. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा आरामाणि वा उज्जाणाणि वा वणाणि वा वणसंडाणि वा देवकुलाणि वा सभाणि वा पवाणि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि (थंडिलंसि) णो उच्चार-पासवणं वोसिरेज्जा।
३०५. साधु-साध्वी यदि ऐसे स्थण्डिल को जाने, जैसे कि बगीचा (उपवन), उद्यान, वन, वनखण्ड, देवकुल, सभा या प्याऊ हो अथवा अन्य इसी प्रकार का कोई पवित्र या रमणीय स्थान हो, तो उस प्रकार के स्थण्डिल में वह मल-मूत्र का विसर्जन नहीं करे।
305. A bhikshu or bhikshuni should find if a sthandil is at places like large or small garden, woods, plantations, temple, assembly hall, water hut or other such pious or beautiful place. If it is so, such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal.
३०६. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा अट्टालयाणि वा चरियाणि वा दाराणि वा गोपुराणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि णो उच्चार-पासवणं वोसिरेज्जा।
३०६. साधु-साध्वी ऐसे किसी स्थण्डिल को जाने, जैसे-कोट की अटारी हों, किले और नगर के बीच के मार्ग हों द्वार हों, नगर के मुख्य द्वार हों, ऐसे तथा अन्य इसी प्रकार के सार्वजनिक आवागमन के स्थल हों, तो ऐसे स्थण्डिल में मल-मूत्र का विसर्जन नहीं करे।
306. A bhikshu or bhikshuni should find if a sthandil is at places like a loft on a parapet wall, path between fort and city, gates, city gates or other such public places. If it is so, such sthandil should not be used by an ascetic for excreta disposal.
३०७. से भिक्खू वा २ से जं पुण थंडिलं जाणेज्जा तिगाणि वा चउक्काणि वा चच्चराणि वा चउमुहाणि वा, अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि (थंडिलंसि) णो उच्चार-पासवणं वोसिरेज्जा।
उच्चार-प्रस्रवण-सप्तिका : दशम अध्ययन
( ४१७ ) Uchchar-Prasravan Saptika: Tenth Chapter
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