Book Title: Agam 01 Ang 02 Acharanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 482
________________ other such tat sounds (produced by stringed musical instruments). He should never resolve to go to some place to hear these sounds. ३१६. से भिक्खू वा २ अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेइ, तं जहा-तालसद्दाणि वा कंसतालसदाणि वा लत्तियसद्दाणि वा गोहियसद्दाणि वा किरिकिरिसदाणि वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराइं विरूवरूवाइं तालसद्दाई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेज्जा गमणाए। ३१६. साधु-साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि ताल के शब्द, कंसताल के शब्द, लत्तिका (काँसी) के शब्द, गोधिका (भांड लोगों द्वारा काँख और हाथ में रखकर । बजाए जाने वाले वाद्य) शब्द या बाँस की छड़ी से बजने वाले शब्द, इसी प्रकार के अन्य अनेक तरह के ताल शब्दों को सुनने की दृष्टि से कहीं जाने का मन में विचार न करे। ____316. A bhikshu or bhikshuni hears various sounds such as those of clapping, kansataal, lattika, godhika, kirikiri or other such taal sounds (produced by action of clapping with various instruments). He should never resolve to go to some place to hear these sounds. ___ ३१७. से भिक्खू वा २ अहावेगइयाइं सद्दाई सुणेइ, तं जहा-संखसहाणि वा वेणुसद्दाणि वा वंससद्दाणि वा खरमुहिसदाणि वा पिरिपिरियसदाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराई विस्वरूवाई सद्दाइं झुसिराई कण्णसोयपडियाए णो अभिसंधारेज्जा गमणाए। ३१७. साधु-साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं, जैसे कि शंख के शब्द, वेणु के शब्द, बाँस के शब्द, खरमुही के शब्द, पिरपिरी के शब्द या इसी प्रकार के अन्य नाना शुषिर (छिद्रगत) शब्द, किन्तु उन्हें कानों से सुनने के लिए किसी स्थान में जाने का संकल्प न करे। 317. A bhikshu or bhikshuni hears various sounds such as those of conch shell, venu, bamboo, kharmuhi, piripiri or other such shushir sounds (produced by wind instruments). He should never resolve to go to some place to hear these sounds, विवेचन-शब्दों के विविध भेद-इन चारों सूत्रों में मुख्यतया चार कोटि के वाद्य शब्द सुनने की उत्कण्ठा का निषेध है-(१) वितत शब्द, (२) तत शब्द, (३) ताल शब्द, और (४) शुषिर आचारांग सूत्र (भाग २) ( ४३२ ) Acharanga Sutra (Part 2) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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