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incise or cut many times or again and again or deeply. (Paia Sadda Mahannavo)
Aalep-applying ointment; according to Nishith Churni (p. 215217) it is of three types—(1) for relieving pain, (2) for fomenting a boil, and (3) for expelling pus. अंग-परिकर्मरूप पर-क्रिया-निषेध
३३९. (क) से सिया परो कार्यसि सेयं वा जल्लं वा णीहरिज्ज वा विसोहिज्ज वा, णो तं साइए णो तं णियमे।
(ख) से सिया परो अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा नहमलं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा, णो तं साइए णो तं णियमे।
(ग) से सिया परो दीहाई वालाई दीहाई रोमाइं दीहाइं भमुहाई दीहाइं कक्खरोमाइं दीहाइं वत्थिरोमाइं कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, णो तं साइए णो तं णियमे। ___ (घ) से सिया परो सीसाओ लिक्खं वा जूयं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा, णो तं साइए णो तं णियमे।
३३९. (क) कोई गृहस्थ साधु के शरीर से पसीना या मैल से युक्त पसीने को पोंछे या साफ करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए।
(ख) कोई गृहस्थ साधु के आँख का मैल, कान का मैल, दाँत का मैल या नख का मैल निकाले या उसे साफ करे, तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए। ___ (ग) कोई गृहस्थ साधु के सिर के लम्बे केशों, लम्बे रोमों, भौंहों एवं काँख के लम्बे रोमों, लम्बे गुह्य स्थान के रोमों को काटे अथवा सँवारे तो साधु उसे मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से कराए।
(घ) कोई गृहस्थ साधु के सिर से जूं या लीख निकाले या सिर साफ करे तो साधु मन से भी न चाहे और न ही वचन एवं काया से ऐसा कराए। CENSURE OF PARA-KRIYA OF BEAUTIFICATION
339. (a) In case some householder wipes or cleans sweat or sweat smeared with dirt on the body of an ascetic, the ascetic should avoid that para-kriya with mind, speech and body. आचारांग सूत्र (भाग २)
( ४६२ )
Acharanga Sutra (Part 2) SPEPREPARAPOORDERERGADGPOTEORGRANGPRAGPD
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