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चित्र परिचय ९९
पात्र- - एषणा
विधि
(१) ग्राह्य पात्र - भिक्षु आहार- पानी की याचना के लिए पात्र ग्रहण करता है। वे पात्र तीन प्रकार के हो सकते हैं - काष्ट पात्र, तुम्बे के पात्र तथा मिट्टी के पात्र । (ये पात्र साधारण अल्प मूल्य वाले तथा टिकाऊ होने चाहिए। (सूत्र २४३)
Illustration No. 11
(२) अग्राह्य बहुमूल्य पात्र - जो पात्र ( भाण्ड) बहुत मूल्यवान हों, जिन पर सोने-चाँदी के तार बँधे हों, चाहे लकड़ी के ही क्यों न हों अथवा काँच, शंख, सींग, हाथी दाँत आदि के पात्र जिन पर अनेक प्रकार की कारीगरी की गई हो या सादे ही हों तथा सोने, चाँदी, ताँबा, पीतल आदि धातुओं के पात्र इस प्रकार के पात्र भिक्षु के लिए अग्राह्य हैं।
- अध्ययन ६, सूत्र २४६, २४८
SEEKING POTS
(1) Approved – An ascetic takes pots to beg for food and water. They can be of three kinds – made of wood, gourd or earthen pots. (These pots should be ordinary and low cost.) (aphorism 243)
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(2) Censured - An ascetic is not allowed to take pots that are very costly, such as wooden pots with gold and silver work; pots made of glass, conch shell, horn or ivory with or without artistic work; and pots made of metals like gold, silver, copper, brass etc.
--Chapter 6, aphorism 246, 248
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