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बीओ उद्देसओ
द्वितीय उद्देशक
पात्र - प्रतिलेखन- प्रमार्जन
२५५. से भिक्खू वा २ गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए पविसमाणे पुव्वामेव पेहाए पडिग्गहगं, अवहट्टु पाणे, पमज्जिय रयं ततो संजयामेव गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए णिक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा । केवली बूया - आयाणमेयं । अंतो पडिग्गहगंसि पाणे वा बीए वा रए वा परियावज्जेज्जा, अह भिक्खूणं पुव्वोवदिट्ठा ४ जं पुव्वामेव पेहाए पडिग्गहं, अवहट्टु पाणे, पमज्जिय रयं तओ संजयामेव गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए णिक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा ।
LESSON TWO
२५५. साधु-साध्वी आहार- पानी के लिए गृहस्थ के घर में जाने से पहले ही अपने पात्र का भलीभाँति प्रतिलेखन करे। यदि उसमें कोई प्राणी हो तो से निकाल दे और रज को पोंछकर झाड़ दे । तत्पश्चात् साधु आहार- पानी के लिए उपाश्रय से बाहर निकले और गृहस्थ के घर में प्रवेश करे । केवली भगवान कहते हैं - प्रतिलेखना नहीं करना कर्मबन्ध का कारण है, क्योंकि पात्र के अन्दर द्वीन्द्रिय आदि प्राणी, बीज या रज आदि रह सकते हैं, पात्रों की प्रतिलेखना किये बिना उसमें रहे जीवों की विराधना हो सकती है । इसीलिए तीर्थंकर आदि पुरुषों ने पहले से ही इस प्रकार का उपदेश दिया है कि आहार- पानी के लिए जाने से पूर्व साधु पात्र की सम्यक् प्रतिलेखना करके कोई प्राणी हो तो उसे निकालकर एकान्त में छोड़ दे । रज आदि को पोंछकर झाड़ दे और तब आहार के लिए उपाश्रय से निकले और गृहस्थ के घर में प्रवेश करे ।
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INSPECTING AND CLEANING POTS
255. A bhikshu or bhikshuni should carefully inspect his pot before going to the house of a layman for alms. If there is some being within, it should be removed and any dirt should be wiped off. After this the ascetic should come out of the upashraya and enter the house. The Omniscient las said that not to inspect a pot is a cause of bondage of karmas. There is a chance that some two sensed living beings, seeds or green vegetables are in the pot and in absence of careful inspection they may come to harm. Therefore Tirthankars and other sages have given instructions पात्रैषणा: षष्ठ अध्ययन
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Paatraishana: Sixth Chapter
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