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those guest ascetics to share the stool, plank, bed etc. brought after due exploration by his ownself. But he should not invite them to share the stool, plank, bed etc. brought by some other ascetic or that brought specifically for other sick (or disabled) ascetic.
२६३. से आगंतारेसु वा जाव से किं पुण तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियंसि ? जे तत्थ गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा सूई वा पिप्पलए वा कण्णसोहणए वा णहच्छेदणए वा तं अप्पणो एगस्स अट्ठाए पाडिहारियं जाइत्ता णो अण्णमण्णस्स दिज्ज वा अणुपदिज्ज वा, सयं करणिज्जं ति कट्टु से त्तमायाए तत्थ गच्छेज्जा, २ पुव्वामेव उत्ताए हत्थे कट्टु भूमीए वा ठवेत्ता इमं खलु त्ति आलोएज्जा, णो चेव णं सयं पाणिणा परपाणिसि पच्चष्पिणेज्जा ।
२६३. उस धर्मशाला आदि में ठहरा हुआ साधु गृहस्थ या गृहस्थ पुत्र आदि के पास से सुई, कैंची, कान कुरेदनी, नहरनी आदि वस्तुओं की आवश्यकता होने पर अपने स्वयं के लिए प्रातिहारिक रूप माँगकर के लाया हो तो वह दूसरे साधु को न दे | अथवा वह दूसरे साधु को वे चीजें न सौंपे किन्तु उन वस्तुओं का उपयोग करके उन प्रातिहारिक उपकरणों को लेकर गृहस्थ के यहाँ जाये और लम्बा हाथ करके उन चीजों को भूमि पर रखकर गृहस्थ से कहे - यह तुम्हारा अमुक पदार्थ है, यह अमुक है, इसे सँभाल लो, देख लो। परन्तु उन सुई आदि वस्तुओं को साधु अपने हाथ से गृहस्थ के हाथ पर रखकर नहीं देवे।
263. When an ascetic staying at a dharmashala (etc.) borrows for his specific needs a needle, scissors, ear-cleaner, nail-cutter etc. he should not give it to another ascetic. Instead, he should go to the householder and extending his hand place those things on the ground and tell to the householder-here is this thing and that thing; please check it and take it back. But an ascetic should not place these things with his own hands in the hands of the householder.
विवेचन - साधर्मिक, सांभोगिक और समनोज्ञ में अन्तर - एक धर्म, एक देव को मानने वाले और प्रायः एक समान वेश वाले साधर्मिक साधु कहलाते हैं; सांभोगिक का अर्थ है, जिनके आचार, विचार और समाचारी एक समान हों; और समनोज्ञ का अर्थ है जो आचार-विचार में शिथिल न हो।
आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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