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श्लक्ष्ण-(सहिण) वर्ण और छवि आदि के कारण बहुत सूक्ष्म या मुलायम। श्लक्ष्णकल्याणसूक्ष्म और मंगलमय चिन्हों से अंकित। आजक-किसी देश की सूक्ष्म रोएँ वाली बकरी के रोम से निष्पन्न। कायक-इन्द्रेनीलवर्ण कपास से निर्मित। क्षौमिक दुकूल-गौड़ देश में उत्पन्न विशिष्ट कपास से बने हुए वस्त्र। पट्टरेशम के वस्त्र। मलयज-(चन्दन) के सूत से बने या मलय देश में बने वस्त्र। वल्कल-तन्तुओं से निर्मित वस्त्र। अंशक-बारीक वस्त्र। चीनांशुकचीन देश के बने अत्यन्त सूक्ष्म एवं कोमल वस्त्र। देशराग-एक प्रदेश से रँगे हुए। अमिलरोम देश में निर्मित। गर्जल-पहनते समय बिजली के समान कड़कड़ शब्द करने वाले वस्त्र। स्फटिक-स्फटिक के समान स्वच्छ पारसी कंबल या मोटा कंबल। अन्य इसी प्रकार के बहुमूल्य वस्त्र भी प्राप्त होने पर विचारशील साधु उन्हें ग्रहण नहीं करे। ____ 215. A disciplined bhikshu or bhikshuni should know about various highly expensive clothes such as Ajinak (made of fur of rat like animals). Shlakshna (sahin)-fine and soft in terms of texture and design. Shlakshnakalyan-with fine print of auspicious signs. Ajak-made of fine fibres of animals of some goat species. Kayak-made from cotton of deep blue colour. Kshaumik dukul--made of special cotton found in the Gaud country. Pattaresham-a type of silk. Malayaj-made of sandalwood fibre or silk from Malaya country (modern Mysore and adjoining area). Valkal-made of fibres from bark of a plant. Anshak-fine cloth. Chinanshuk-very fine fabric from China. Desharaag--partially coloured cloth. Amil-fabrics from Rome. Garjal—clothes that produce chattering sound while wearing. Sfatik-snow white Persian blankets or heavy blankets. An ascetic should not accept these and other such expensive clothes even when offered.
२१६. से भिक्खू वा २ से जं पुण आईणपाउरणाणि वत्थाणि जाणेज्जा, तं जहाउद्दाणि वा पेसाणि वा पेसलाणि वा किण्हमिगाईणगाणि वा णीलमिगाईणगाणि वा
गोरमिगाईणगाणि वा कणगाणि वा कणगकंताणि वा कणगपट्टाणि वा कणगखइयाणि ॐ वा कणगफुसियाणि वा वग्घाणि वा विवग्घाणि वा आभरणाणि वा आभरणविचित्ताणि
वा अण्णयराणि वा तहप्पगाराई आईणपाउरणाणि वत्थाणि लाभे संते णो पडिगाहेज्जा। आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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