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the ascetic should take it considering it to be faultless and acceptable.
विशेष शब्दों के अर्थ- 'अणलं' - जो वस्त्र अभीष्ट ( पहनने, ओढ़ने आदि) कार्य के लिए अपर्याप्त-असमर्थ हो, यानी जिसकी लम्बाई-चौड़ाई कम हो । अथिरं - जो मजबूत और टिकाऊ न हो, जीर्ण हो, जल्दी ही फट जाने वाला हो । अधुवं - जो प्रातिहारिक ( पाडिहारिय ) - थोड़े समय के उपयोग के लिए दिया जा रहा हो। अधारणिज्जं - जो अप्रशस्त हो, खंजन आदि के ( धब्बे ) जिस पर लगे हों, अतः जो वस्त्र लक्षणहीन हो । ( वृत्ति पत्रांक ३९६)
Technical Terms: Analam-cloth which is not sufficient for the desired use (covering the body). In other words, which is short in dimensions. Athiram - that which is not strong and lasting, worn-out and about to get torn. Adhuvam-given for limited use or short period. Adharanijja—unsuitable to wear; not good; having spots; of bad quality. (Vritti leaf 396)
वस्त्र- प्रक्षालन निषेध
२२८. से भिक्खू वा २ ‘णो णवए मे वत्थे' त्ति कट्टु णो बहुदेसिएण सिणाणेण वा जाव पघंसेज्ज वा ।
२२८. ‘मेरे पास नया वस्त्र नहीं है' ऐसा सोचकर साधु या साध्वी पुराने वस्त्र को थोड़े या बहुत सुगन्धित द्रव्य से आघर्षित - प्रघर्षित न करे, सुन्दर बनाने का प्रयास न करे ।
CENSURE OF WASHING CLOTHES
228. 'I do not have new clothe' thinking thus a bhikshu or bhikshuni should not rub or apply perfumes or aromatic substances in small or large quantity to an old cloth; he should not try to make it beautiful.
२२९. से भिक्खू वा २ ' णो णवए मे वत्थे' त्ति कट्टु णो बहुदेसिएण सीओदगवियडेण वा उसीणोदगवियडेण वा जाव पधोएज्ज वा ।
२२९. ‘मेरे पास नूतन वस्त्र नहीं है' इस विचार से साधु या साध्वी उस पुराने मलिन वस्त्र को बहुत बार थोड़े-बहुत शीतल या उष्ण प्रासुक जल से एक बार या बार-बार न धोए।
वस्त्रैषणा: पंचम अध्ययन
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Vastraishana: Fifth Chapter
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