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Use of kautap (etc.) is prohibited. Besides being expensive Kautap, kambal (Persian carpet) and pravarak are loosely woven and are easily infested with insects. These things are prohibited because they are difficult to clean and insects can get killed. (Acharanga Churni, p. 202)
वस्त्रैषणा की चार प्रतिमाएँ
२१७. इच्चेयाई आयतणाई उवाइकम्म अह भिक्खू जाणेज्जा चउहिं पडिमाहिं वत्थं एसित्तए
[१] तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा - से भिक्खू वा २ उद्दिसिय २ वत्थं जाएज्जा, तं जहा - जंगियं वा जाव तूलकडं वा । तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएज्जा परो वा से देज्जा, फासूयं एसणिज्जं लाभे संते जाव पडिगाहेज्जा ।
[२] अहावरा दोच्चा पडिमा - से भिक्खू वा २ पेहाए २ वत्थं जाएज्जा, तं जहागाहावइ वा जाव कम्मकरी वा से पुव्वामेव आलोएज्जा - आउसो ति वा भइणी तिवा दाहिसि मे तो अण्णयरं वत्थं ? तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएज्जा, परो वा से ज्जा, फायं एसणिज्जं लाभे संते जाव पडिगाहेज्जा । दोच्चा पडिमा ।
[३] अहावरा तच्चा पडिमा से भिक्खू वा २ सेजं पुण वत्थं जाणेज्जा, तं जहा - अंतरिज्जगं वा उत्तरिज्जगं वा, तहप्पगारं वत्थं सयं वा णं जाएज्जा जाव पडिगाहेज्जा । तच्चा पडिमा ।
[४] अहावरा चउत्था पडिमा - से भिक्खू वा २ उज्झियधम्मियं वत्थं जाएज्जा जं चऽन्ने बहवे समण-माहण-अतिहि-किवण - वणीमगा णावकंखंति, तहप्पगारं उज्झियधम्मियं वत्थं सयं वा णं जाएज्जा परो वा से देज्जा, फासुयं जाव पडिगाहेज्जा । उत्था पडिमा ।
इच्चेयाणं चउण्हं पडिमाणं जहा पिंडेसणाए ।
२१७. संयमी साधु-साध्वी वस्त्रैषणा सम्बन्धी इन ( पूर्वोक्त) दोषों को छोड़कर चार प्रतिमाओं - अभिग्रह - विशेषों से वस्त्रैषणा करे
[१] पहली प्रतिमा - साधु या साध्वी मन में पहले संकल्प किये हुए वस्त्र की याचना करे, जैसे कि - जांगमिक यावत् तूल-निर्मित वस्त्रों में से एक प्रकार के वस्त्र ग्रहण का मन में निश्चय करे, उस प्रकार के वस्त्र की स्वयं याचना करे अथवा गृहस्थ स्वयं दे तो प्रासुक और एषणीय होने पर ग्रहण करे |
वस्त्रैषणा : पंचम अध्ययन
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Vastraishana: Fifth Chapter
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