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पढमो उद्देसओ
सेज्जा : बीयं अज्झयणं शय्यैषणा : द्वितीय अध्ययन
SHAIYYAISHANA: SECOND CHAPTER
THE SEARCH FOR BED
प्रथम उद्देशक
जीव-जन्तुरहित उपाश्रय- एषणा
७८. से भिक्खू वा २ अभिकंखेज्जा उवस्सयं एसित्तए, अणुपविसित्ता गामं वा णगरं वा जाव रायहाणिं वा से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा; सअंडं सपाणं जाव ससंताणयं, तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेइज्जा ।
LESSON ONE
से भिक्खू वा २ से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा, अप्पंडं जाव अप्प संताणगं, तहप्पगारे उवस्सए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता तओ संजयामेव ठाणं वा ३ चेइज्जा ।
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७८. भिक्षु भिक्षुणी उपाश्रय की एषणा के लिए ग्राम या नगर यावत् राजधानी में प्रवेश करके योग्य उपाश्रय की गवेषणा करते हुए यदि जाने कि वह उपाश्रय अण्डों से यावत् मकड़ी के जालों से युक्त है तो वैसे उपाश्रय में साधु-साध्वी स्थान - ( न - ( कायोत्सर्ग), शय्या - (संस्तारक) और निषीधिका - ( स्वाध्याय) न करे ।
वह साधु-साध्वी यह जाने कि उपाश्रय अण्डों यावत् मकड़ी के जालों आदि से रहित है तो वैसे उपाश्रय का प्रतिलेखन एवं प्रमार्जन करके उसमें कायोत्सर्ग, संस्तारक एवं स्वाध्याय करे।
SEARCH FOR UPASHRAYA FREE OF CREATURES
78. On entering a village, town or city in search of an upashraya (a place of stay) and while exploring for it if a bhikshu or bhikshuni finds that the upashraya is infested with eggs, cobwebs etc., he should avoid its use for meditation (thanam), sleeping (sejjam) and studies (nisihiyam).
शय्यैषणा: द्वितीय अध्ययन
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Shaiyyaishana: Second Chapter
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