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(७) सावद्या क्रिया-जो शय्या पाँचों ही प्रकार के श्रमणों (निर्ग्रन्थ, शाक्य, तापस, गैरिक और आजीवक) के लिए गृहस्थ ने वनाई है, वह सावद्या शय्या कहलाती है। यहाँ ठहरना सावद्या क्रिया कहलाता है।
(८) महासावद्या क्रिया-जिसे गृहस्थ केवल निर्ग्रन्थ श्रमणों के निमित्त ही बनवाता है, वह महासावद्या शय्या कहलाती है। वहाँ ठहरना महासावद्या क्रिया है।
(९) अल्पसावद्या क्रिया-जो भवन आदि पूर्वोक्त कालातिक्रान्तादि सभी दोषों से रहित है, गृहस्थ ने केवल अपने ही लिए बनाये हैं और विचरण करते हुए साधु अनायास ही उसमें आकर ठहर जाते हैं, इसे अल्पसावद्या क्रिया कहते हैं। ‘अल्प' शब्द यहाँ अभाव का वाचक है। अतएव ऐसी शय्या सावद्या क्रियारहित अर्थात् निर्दोष है। (बृहत्कल्पभाष्य मलयगिरि वृत्ति, गा. ५९३-५९९) ___ इन नौ प्रकार की शय्याओं में से सात शय्याएँ दोषयुक्त होने से साधुओं के लिए वर्जनीय हैं, दोष सहित हैं। आचार्य श्री आत्माराम जी म. ने अभिक्रान्ता और अल्पसावद्या क्रिया वाले मकानों को साधु के लिए ग्राह्य बताया है। अभिक्रान्ता और अनभिक्रान्ता शय्या को वृत्तिकार क्रमशः अल्पदोषा और अकल्पनीया बताते हैं। अनभिक्रान्ता में भी वे आवासगृह जब तक पुरुषान्तरकृत, परिभुक्त एवं आसेवित नहीं होते हैं तभी तक अकल्पनीय हैं।
पाँच प्रकार के श्रमण ये होते हैं-'निग्गंथ-सक्क-तावस-गेरुअ-आजीव पंचहा समणा'(१) निर्ग्रन्थ, (२) शाक्य (बौद्ध), (३) तापस, (४) गैरिक, और (५) आजीवक। ___ जहाँ गृहस्थ केवल अपने निमित्त अपने ही प्रयोजन के लिए मकानों का निर्माण कराता है, उसमें आरम्भजनित क्रिया उस गृहस्थ को लगती है, क्योंकि साधु का उद्देश्य सम्मिलित नहीं होता। साधु तो वहाँ विहार करता हुआ अनायास-सहज रूप में ही आकर ठहर जाता है। उसके लिए वह अल्पक्रिया शय्या निर्दोष है, कल्पनीय है।
Elaboration-In aphorisms 97 to 106 nine types of beds have been defined. Bed here means place of stay. In the chapter about places of stay in Brihatkalpa Bhashya also the same nine types of places of stay have been discussed in detail.
Beds are of nine types, viz.--(1) Kalatikranta, (2) Upasthana, (3) Abhikranta, (4) Anabhikranta, (5) Varjya, (6) Mahavarjya, (7) Savadva. (8) Mahasavadya, and (9) Alpasavadya.
The attributes and meanings of these are as follows
(1) Kalatikranta kriya-When an ascetic has lived at a place for a seasonal stay (a month or other specific period) or a monsoon-stay आचारांग सूत्र (भाग २)
Acharanga Sutra (Part 2)
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*TARO
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