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१४३. नौका में बैठे हुए साधु से नाविक यदि कहे कि “आयुष्मन् श्रमण ! इस नौका में भरे हुए जल को तुम हाथ से, पैर से, भाजन से, पात्र से, नौका से उलीचकर बाहर निकाल दो।' साधु नाविक के इस कथन को सुनकर मौन धारण कर बैठा रहे।
143. If the boatman tells to an ascetic riding the boat—"Long lived Shraman ! Please bail out the water filled in the boat with your hands, feet, a bowl or a pot.” The ascetic should not comply with this request from the boatman and silently ignore it.
१४४. से णं परो नावागओ नावागयं वएज्जा-आउसंतो समणा ! एयं ता तुमं नावाए उत्तिंग हत्थेण वा पाएण वा बाहुणा वा ऊरुणा वा उदरेण वा सीसेण वा काएण वा नावा उस्सिंचणएण वा चेलेण वा मट्टियाए वा कुसपत्तएण वा कुविंदेण वा पिहेहि। णो से तं परिणं परिजाणेज्जा।
१४४. नौका में बैठे साधु से नाविक कहे कि “आयुष्मन् श्रमण ! नाव के इस छिद्र को अपने हाथ से, पैर से, भुजा से, जंघा से, पेट से, सिर से या शरीर से अथवा नौका के जल निकालने वाले उपकरणों से, वस्त्र से, मिट्टी से, कुशपात्र से, कुरुविंद नामक घास विशेष से बन्द कर दो, रोक दो।" नाविक के इस कथन को भी साधु स्वीकार न करके मौन रहे।
144. If the boatman tells to an ascetic riding the boat—“Long lived Shraman ! Please block or plug the hole with your hand, foot, arm, thigh, belly, head or body; or with bailing implements, cloth, clay, kush-grass or kuruvind-grass." The ascetic should not comply with this request from the boatman and silently ignore it.
१४५. से भिक्खू वा २ नावाए उत्तिंगेण उदयं आसवमाणं पेहाए, उवरूवरि नावं कज्जलावेमाणं पेहाए, णो परं उवसंकमित्तु एवं बूया-आउसंतो गाहावइ ! एया ते
नावाए उदयं उत्तिंगेण आसवइ, उवरूवरिं वा नावा कज्जलावेइ। एतप्पगारं मणं वा 1. वायं वा णो पुरओ कटु विहरेज्जा। अप्पुस्सुए अबहिलेस्से एगत्तिगएणं अप्पाणं वियोसेज्ज समाहीए। तओ संजयामेव नावासंतारिमे उदए आहारियं रीएज्जा।
एयं खलु सया जइज्जासि। -त्ति बेमि।
॥ पढमो उद्देसओ सम्मत्तो ॥ . ईर्या : तृतीय अध्ययन
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Irya : Third Chapter
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