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___ मुनि वस्त्रधारी है तो शीघ्र ही वस्त्रों को फैलाकर अपने शरीर पर अच्छी तरह बाँधकर
लपेट ले तथा कुछ वस्त्र अपने सिर के चारों ओर लपेट ले। ____147. (At this display of apathy by the ascetic) If the person tells his fellow passengers-"Long lived householder ! This Shraman is a burden on the boat just like pots and utensils (he neither listens nor does any work). Therefore, hold him by his arms and throw him out of the boat into the water. Hearing these words, if the ascetic is clad, he should spread his clothes and wrap them well around his body; he should also wrap some clothes around his head.
१४८. अह पुणेवं जाणेज्जा-अभिंकतकूरकम्मा खलु बाला बाहाहिं गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिवेज्जा। से पुव्वामेव वइज्जा-आउसंतो गाहावइ ! मा मेत्तो बाहाए गहाय णावाओ. उदगंसि पक्खिवह, सयं चेव णं अहं णावाओ उदगंसि ओगाहिस्सामि।
से णेवं वयंत परो सहसा बलसा बाहाहिं गहाय णावाओ उदगंसि पक्खिवेज्जा, तं णो सुमणे सिया, णो दुम्मणे सिया, णो उच्चावयं मणं णियंच्छेज्जा, णो तेसिं बालाणं घायए वहाए समुद्रुज्जा। अप्पुस्सुए जाव समाहीए। तओ संजयामेव उदगंसि पवज्जेज्जा।
१४८. तथा वह साधु यह विचार करे कि ये अत्यन्त क्रूर कर्म करने वाले अज्ञानी लोग मुझे अवश्य ही बाँहें पकड़कर नौका से बाहर पानी में फेंकना चाहते हैं, अतः फेंके जाने से पूर्व ही उन गृहस्थों को सम्बोधित करके कहे-"आयुष्मन् गृहस्थो ! आप मुझे बाँहें पकड़कर जबर्दस्ती नौका से बाहर जल में मत फेंको; मैं स्वयं ही इस नौका को छोड़कर जल में प्रवेश कर जाऊँगा।"
साधु के कहने पर कोई नाविक सहसा बलपूर्वक साधु की भुजाएँ पकड़कर उसे नौका से बाहर जल में फेंक दे तो जल में गिरा हुआ साधु मन में किसी प्रकार का हर्ष तथा शोक न करे, वह मन में किसी प्रकार का ऊँचा-नीचा संकल्प-विकल्प भी न लाये और न ही उन अज्ञानीजनों को मारने-पीटने के लिए उद्यत हो तथा न ही वह उनसे किसी प्रकार का प्रतिशोध लेने का विचार करे। किन्तु वह मुनि जीवन-मरण में हर्ष-शोक से रहित होकर, अपनी चित्तवृत्ति को शरीरादि बाह्य वस्तुओं के मोह से हटाकर अपने आप को आत्मैकत्वभाव में लीन करता हुआ यतनापूर्वक जल में प्रवेश कर जाये।
148. And the ascetic should think that these extremely cruel and ignorant people are certainly going to hold him by his arms आचारांग सूत्र (भाग २)
( २४८ )
Acharanga Sutra (Part 2) ...
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