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भाषाजात : चतुर्थ अध्ययन
आमुख
+ इस चतुर्थ अध्ययन का नाम 'भाषाजात' है। + भाषाजात का अर्थ है-भाषा के प्रकार, भाषा की प्रवृत्तियाँ, भाषा-प्रयोग आदि का वर्णन।
इस अध्ययन में भाषा सम्बन्धी समग्र वर्णन होने से इसका भाषाजात नाम है तथा
भाषासमिति के विवेक से सम्बन्धित विषय होने से 'भाषेषणा' भी कहा गया है। + इसके दो उद्देशक हैं। यद्यपि दोनों का उद्देश्य है-भिक्षु को वचन-शुद्धि का विवेक बताना। किस प्रकार की भाषा बोले, किस प्रकार की नहीं बोले इसका सम्यक् विवेक करना 'भाषेषणा' है। प्रथम उद्देशक में १६ प्रकार की वचन-विभक्ति बताकर भाषा-प्रयोग के सम्बन्ध में विधि-निषेध बताया गया है। दूसरे उद्देशक में भाषा की उत्पत्ति के सन्दर्भ में क्रोधादि समुत्पन्न भाषा को छोड़कर निर्दोष के वचन बोलने का विधान है।
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भाषाजात : चतुर्थ अध्ययन
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Bhashajata : Fourth Chapter
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