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जल के ऊपर आकाश में चलने वाला एक प्रकार का हवाई जहाज और अधोगामिनी का अर्थ __ जल के नीचे चलने वाली पनडुब्बी जैसी नौका से हो सकता है। साधु को केवल तिर्यक्रगामिनी नौका अर्थात् जल पर सीधी चलने वाली नौका में बैठने की आज्ञा है।
(३) नौका में बैठा हुआ साधु नौका सम्बन्धी सभी व्यवहार से निर्लिप्त रहकर केवल अपने ज्ञान-दर्शन-चारित्र में ही विचरण करे। नौका के संचालन सम्बन्धी क्रियाओं से स्वयं को अलिप्त रखे।
(४) नौका-यात्रा के मध्य यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती देखे तो भिक्षु उस समय घबराये नहीं, अपने शरीर एवं उपकरणों की मूर्छा ममता नहीं रखे, किन्तु आहार-पानी का त्यागकर समाधिमरण के लिए तैयार रहे। आत्मा को एकत्वभाव में लीन रखता हुआ जीवन-मरण के भय से मुक्त रहे।
बृहत्कल्पसूत्र की वृत्ति तथा निशीथचूर्णि में नौकारोहण सम्बन्धी वर्णन काफी विस्तार के साथ आया है। अतः अधिक जानकारी के लिए उन ग्रन्थों को देखना चाहिए।
Elaboration—Attention should be paid to the procedure of boat ride detailed in these aphorisms
(1) If there is a water-body on the way that is impossible to cross on foot an ascetic can cross it aboard a boat. ___(2) The purpose of using the terms urdhvagamini (plying up) and adhogamini (plying down) is not clear in the text; therefore, we translate these terms as upstream and downstream. However, according to Acharya Shri Atmaramji M. urdhvagamini nauka could mean a type of aeroplane flying over water. And adhogamini nauka could mean a boat moving under water; something like modern submarine. An ascetic is allowed to ride only a tiryakgamini nauka or an ordinary boat plying across the surface of water.
(3) An ascetic riding a boat should remain apathetic to any activity on boat other than his contemplation over right knowledge-perceptionconduct. He should not bother himself about any act related to navigation of the boat.
(4) If during his boat ride the ascetic witnesses any accident he should not get disturbed. He should be free of any attachment for his ईर्या : तृतीय अध्ययन
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Irya : Third Chapter
TRACRED
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