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१४१. से णं परो णावागओ नावागयं वएज्जा - आउसंतो समणा ! णो संचाए सि तुमं नावं उक्कसित्तए वा वोक्कसित्तए वा खिवित्तए वा रज्जुए वा गहाय आकसित्तए ।. आहर एवं नावाए रज्जुयं, सयं चेवं णं वयं नावं उक्कसिस्सामो वा जाव रज्जूए वा गहाय आकसिस्सामा । णो से तं परिण्णं परिजाणेज्जा, तुसिणीओ उवेहेज्जा ।
१४१. नौकारूढ़ साधु को यदि नाविक ऐसा कहे कि “आयुष्मन् श्रमण ! यदि तुम नौका को ऊपर या नीचे की ओर खींच नहीं सकते, रस्सी पकड़कर नौका को बाँध नहीं सकते या जोर से कस नहीं सकते, तो नाव पर रखी हुई रस्सी को लाकर हमें दे दो। हम स्वयं नौका को ऊपर या नीचे की ओर खींच लेंगे, फिर रस्सी से इसे जोर से कस देंगे।" साधु नाविक के इस प्रकार के वचनों को भी स्वीकार न करे, उपेक्षाभाव से चुपचाप बैठा रहे ।
141. If the boatman tells to an ascetic riding the boat-"Long lived Shraman! If you cannot pull the boat upwards or downwards or hold the rope and tie the boat fast or draw the rope tight, please hand over the rope lying on the boat to me. I will pull the boat upwards or downwards and tie it fast with rope on my own." The ascetic should not comply even with this request from the boatman and silently ignore it.
१४२. से णं परो नावागओ नावागयं वएज्जा आउसंतो समणा ! एवं ता तुमं नावं आलित्तेण वा पिट्टेण वा वंसेण वा वलएण वा अवल्लएण वा वाहेहि । णो से तं परिणं जाव उवेहेज्जा ।
१४२. नौका में आरूढ़ साधु से नाविक यह कहे कि " आयुष्मन् श्रमण ! जरा इस नौका को तुम डांड ( चप्पू) से, पीठ से, बड़े बाँस से, बल्ली से और अबलुक (बाँस विशेष ) से आगे कर दो - चलाओ।" नाविक के इस प्रकार के वचनों को मुनि स्वीकार न करे, मौन होकर बैठा रहे ।
142. If the boatman tells to an ascetic riding the boat—“Long lived Shraman! Please push the boat forward with an oar, rudder, bamboo, pole or scull.” The ascetic should not comply with this request from the boatman and silently ignore it.
१४३. से णं परो नावागओ नावागयं वएज्जा - आउसंतो समणा ! एवं ता तुमं नावाए उदयं हत्थेण वा पाएण वा मत्तेण वा पडिग्गहएण वा नावा उस्सिंचणएण वा उस्सिंचाहि । णो से तं परिण्णं परिजाणेज्जा ।
आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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