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१२३. जो साधु या साध्वी किसी कारणवश स्थिरवास कर रहा हो या उपाश्रय में मासकल्पादि से स्थित हो अथवा ग्रामानुग्राम विहार करते हुए उपाश्रय में आकर ठहरा हो, वह बुद्धिमान् साधु कि जहाँ ठहरना हो वहाँ पहले ही उसके आसपास में उच्चार-प्रस्रवण-विसर्जन की भूमि को अच्छी प्रकार देखभाल कर ले। केवली भगवान ने अप्रतिलेखित उच्चार-प्रस्रवण भूमि का उपयोग करना कर्मबन्ध का हेतु बताया है।
क्योंकि अप्रतिलेखित भूमि में कोई भी साधु या साध्वी रात्रि में या विकाल में मल-मूत्रादि परठता हुआ फिसल सकता है या गिर सकता है। फिसलने या गिरने पर उसके हाथ, पैर, सिर या शरीर के किसी अवयव को चोट लग सकती है अथवा उसके गिरने से वहाँ स्थित अन्य प्राणियों को आघात भी लग सकता है, वे दब सकते हैं या वे मर सकते हैं। ___ इस सम्भावना के कारण तीर्थंकरादि ज्ञानी पुरुषों ने पहले ही भिक्षुओं के लिए यह उपदेश दिया है कि साधु को उपाश्रय में ठहरने से पहले मल-मूत्र-परिष्ठापन करने हेतु निर्दोष भूमि की प्रतिलेखना कर लेनी चाहिए। INSPECTION OF PLACE OF DEFECATION ____123. The bhikshu or bhikshuni who permanently stays at a place for some reason or one who spends a specific period at a upashraya or stays at a place during his wanderings from one village to another, should first look for and inspect a nearby place for defecation and waste disposal. The omniscient has said that use of unexamined place for defecation is a cause of bondage of karma.
This is because while defecation or waste disposal during the night or odd hours that ascetic may stumble and fall. When he slips or falls his hand, foot, head or any other part of the body may get injured and immobile and mobile beings existing there may be harmed, crushed or destroyed.
Due to this possibility Tirthankars and other sages have advised the ascetics to inspect and find a proper and fault-free place for defecation and waste disposal.
विवेचन-ठहरने के स्थान पर उच्चार-प्रस्रवण भूमि की प्रतिलेखना करना साधु की समाचारी का महत्त्वपूर्ण अंग है, इसकी उपेक्षा करने से अनेक प्रकार के दोष लगने की संभावना है। ऐसी भूमि को स्थण्डिल भूमि कहा जाता है। उत्तराध्ययनसूत्र में स्थण्डिल भूमि के विषय में दस बातें आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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