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some other odd hour, he should first explore with his hands and then only put his foot forward. He should be careful while going out or coming in.
उपाश्रय की याचना विधि
१०९. से आगंतारेसु वा ४ अणुवीयी उवस्सयं जाएज्जा। जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समाहिट्ठाए ते उवस्सयं अणुण्णविज्जा-कामं खलु आउसो ! अहालंदं अहापरिण्णायं वसिस्सामो। __जाव आउसंतो, जाव आउसंतस्स उवस्सए, जाव साहम्मियाई, एत्ताव ता उवस्सयं गिहिस्सामो, तेण परं विहरिस्सामो।
१०९. साधु धर्मशालाओं आदि ठहरने के स्थान को जानकर विचार करे कि इसका स्वामी कौन है तथा यह किसके अधिकार में है ? फिर उपाश्रय (स्थान) की याचना करेसे “आयुष्मन् ! यदि आप आज्ञा दें तो आपकी इच्छानुसार जितने काल तक और जितना
भाग आप ठहरने के लिए देना चाहें, उतने काल तक, उतने भाग में हम ठहर जायेंगे।" । ___(मुनि के कहने पर) गृहस्थ यदि पूछे कि “आप कितने समय तक यहाँ रहेंगे?" तब मुनि उत्तर दे-“आयुष्मन् सद्गृहस्थ ! शेष काल में एक मास तक और वर्षाकाल में चार मास तक एक जगह रह सकते हैं; किन्तु आप जितने समय तक तथा उपाश्रय के जितने भाग में ठहरने की आज्ञा देंगे, उतने समय और स्थान तक रहकर फिर हम विहार कर जायेंगे। तथा जो भी साधर्मिक साधु यहाँ आयेंगे, वे भी आपकी आज्ञा के अनुसार उतने समय और उतने भाग में रहकर फिर विहार कर जायेंगे।"
PROCEDURE OF SEEKING UPASHRAYA ____109. Finding an upashraya or any other place of stay the ascetic should inquire that who is the owner or manager of the place ? After this he should beg for it—“Long lived one! If you permit me I would like to stay in a portion allotted by you for a period allowed by you.” ___If the householder asks (on the request of the ascetic)-"How long will you stay here ?" The ascetic should reply—“O long lived noble householder ! We are allowed to stay at one place for four months during the monsoon season and only for a month during आचारांग सूत्र (भाग २)
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Acharanga Sutra (Part 2)
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