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(२) जिसमें गृहस्थ के घर के बीचोंबीच होकर जाना पड़ता हो, या जो गृहस्थ के शयन-कक्ष आदि से बिलकुल लगा हो अथवा जिसके अनेक द्वार हों।
(३) जहाँ गृहस्थ तथा उससे सम्बन्धित पुरुष-स्त्रियाँ परस्पर एक-दूसरे से लड़ती, उपद्रव आदि करती हों।
(४) जहाँ गृहस्थ पुरुष-स्त्रियाँ एक-दूसरे के तेल आदि की मालिश करती हों, चुपड़ती हों।
(५) जहाँ पुरुष-स्त्रियाँ एक-दूसरे के शरीर पर सुगंधित, चूर्ण आदि मलती, जिसके उबटन आदि करती हों।
(६) जहाँ पड़ौस में पुरुष-स्त्री परस्पर एक-दूसरे को नहलाते-धुलाते हों। (७) जहाँ पड़ौस में पुरुष-स्त्रियाँ नंगी खड़ी-बैठी रहती हों, विषयवर्धक वार्तालाप करती हों। (८) जिसकी दीवारों पर स्त्रियों के चित्र हों।
Elaboration—In these eight aphorisms stay by ascetics in eight types of upashrayas has been censured,
(1) Which has fire and water in it.
(2) Which is accessible from within the residence of a householder, or is adjacent to the bed room of a householder or has numerous entrances.
(3) Where the owner and his relatives quarrel or create disturbance.
(4) Where male and female members of the household rub or apply each other's body with oil and other such things.
(5) Where male and female members of the household rub or apply water, aromatic pastes etc. on each other's body.
(6) Where male and female members of the household bathe each other.
(7) Where male and female members of the household sit naked and discuss erotic subjects.
(8) Where there are erotic paintings or pictures of women on the walls.
आचारांग सूत्र (भाग २)
( २१२ )
Acharanga Sutra (Part 2)
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