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बीओ उद्देसओ
द्वितीय उद्देशक
LESSON TWO
गृहस्थ-संसक्त उपाश्रय में दोषोत्पत्ति
___९२. गाहावई नामेगे सुइसमायारा भवंति, भिक्खू य असिणाणए मोयसमायारे से & तग्गंधे दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे यावि भवइ, जं पुव्वकम्मं तं पच्छाकम्मं, जं पच्छाकम्म
तं पुरेकम्मं, ते भिक्खुपडियाए वट्टमाणा करेज्ज वा णो वा करेज्जा। अह भिक्खूणं पुचोवदिट्ठा ४ जं तहप्पगारे उवस्सए ठाणं वा ३ चेइज्जा।
९२. कोई गृहस्थ शौचाचार वाले (शुद्धाशुद्धि का अधिक विचार रखने वाले) होते हैं और भिक्षुओं के स्नान न करने के कारण तथा मोकाचारी (विशेष साधनाकाल में मोक प्रतिमा धारण करने वाले) होने के कारण उनके शरीर और वस्त्रों से आती दुर्गन्ध उस गृहस्थ को प्रतिकूल और अप्रिय भी लग सकती है। इस कारण वे गृहस्थ जो (स्नानादि) कार्य पहले करते थे, अब भिक्षुओं की उपस्थिति के कारण बाद में करेंगे और जो कार्य बाद में करते थे, वे पहले करने लगेंगे अथवा भिक्षुओं के कारण वे भोजनादि क्रियाएँ असमय में करेंगे या नहीं भी करेंगे। अथवा वे साधु भी उक्त गृहस्थ के लिहाज से प्रतिलेखनादि क्रियाएँ समय पर नहीं कर सकेंगे, बाद में करेंगे या सर्वथा नहीं भी करेंगे। . इसलिए तीर्थंकरादि ने भिक्षुओं के लिए पहले से ही यह प्रतिज्ञा बताई है कि इस प्रकार के उपाश्रय में नहीं ठहरना चाहिए।
FAULTS AT INHABITED UPASHRAYA
92. Some householders are sticklers for cleanliness. The stench coming out of the body and clothes of the ascetics, who normally do not bathe themselves or are doing urine therapy (under some special circumstance) may be offensive or repulsive to them. For this reason they would attend to their routine
chores earlier or later than the scheduled time due to the 29 presence of ascetics. They would also eat or do other things
untimely or not at all. Also, the ascetics would attend to their normal ascetic activities like inspection untimely or later or not at all due to the presence of the householder. Therefore Tirthankars have framed this code for ascetics that they should शय्यैषणा : द्वितीय अध्ययन
( १८१ ) Shaiyyaishana : Second Chapter RARASH R E -ORLord orCOMEDYEAGOOTEORGPORGIVEPOTERATORS
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