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५७. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में आहारार्थ प्रविष्ट होने पर जाने कि वहाँ लहसुन है, लहसुन का पत्ता, उसकी नाल (डंडी), लहसुन का कंद या लहसुन की बाहर की (गीली) छाल या अन्य उस प्रकार की वनस्पति है, जोकि कच्ची और शस्त्र-परिणत नहीं हुई है, तो उसे अप्रासुक और अनेषणीय मानकर ग्रहण न करे।
५८. साधु या साध्वी गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए जाने पर यह देखे कि वहाँ आस्थिक वृक्ष के फल, टैम्बरु के फल, टिम्ब (बेल) का फल, काश्यपालिका (श्रीपर्णी) का फल अथवा अन्य इसी प्रकार के फल, जोकि गड्ढे में दबाकर धुएँ आदि से पकाये गये हों, कच्चे (बिना पके) हैं तथा शस्त्र-परिणत नहीं हुए हैं, ऐसे फल को अप्रासुक और अनेषणीय समझकर नहीं लेना चाहिए।
56. A bhikshu or bhikshuni on entering the house of a layman in order to seek alms should find if he is offered sugar-cane, which is full of holes or withering; or peeling off or chewed by jackals; or the points of reeds or pulp of plantains that are raw and unmodified. If it is so, he should refrain from taking any such things considering them to be contaminated and unacceptable.
57. A bhikshu or bhikshuni on entering the house of a layman in order to seek alms should find if he is offered garlic or its leaves or stalk or bulb or integument that are raw and unmodified. If it is so, he should refrain from taking any such things considering them to be contaminated and unacceptable.
58. A bhikshu or bhikshuni on entering the house of a layman in order to seek alms should find if he is offered roasted or fumigated fruits of asthik, tembaru (Diospyros tomentosa), timb (bel), shriparni or other such fruits, that are raw and unmodified. If it is so, he should refrain from taking any such things considering them to be contaminated and unacceptable.
५९. से भिक्खू वा २ से जं पुण जाणेज्जा, कणं वा कणकुंडगं वा कणपूयलियं वा चाउलं वा चाउलपिटुं वा तिलं वा तिलपिटुं वा तिलप्पडगं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं
आमं असत्थपरिणयं जाव लाभे संते णो पडिगाहेज्जा। ___ एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं।
॥ अट्ठमो उद्देसओ सम्मत्तो ॥ पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
( १०९ ) Pindesana : Frist Chapter
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