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jatayu (eagle), kaushika,
dhurt (rascal)
183 110
gauri
kukkut (cock)
754 191
192
193 194
guggul gorochan kukubh (a potter's hen), shvet
titar, tamrachud-cock, spark of fire, chandal, shudputra,
sunishannak plant fragrant valchhad motha mura plant kapur kachari priyangu medicine sambhalu's seeds thuner asavarg plant papadi nali (an aromatic plant) plum poi plant muli (radish)
kesh (hair) tapasvini megh varid daitya (demon) vadhu (bride) angana, priya rajputri, dvijaa kukkur, shuk, mayur brahmani, devi, devputri janani (mother) nati, dhamni bhalluk (bear) matsya (fish) kapotika (female pigeon)
194
194 195 196 198 188 199 92
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इन उपर्युक्त नामों को देखते हुए मनुष्य, पशु-पक्षी आदि के नामों से अनेकानेक वनस्पतियाँ * अभिहित हुई हैं। अतएव प्रस्तुत प्रकरण में भी शठ का अर्थ धूर्त; कुटिल का वक्र और पिशुन * का चुगलखोर अर्थ करना संगत नहीं है, किन्तु इन शब्दों के वनस्पति रूप अर्थ ही प्रसंगोचित हैं।
इन प्रमाणों से यह भलीभाँति सिद्ध हो जाता है कि फलों के गूदे को माँस और गुठली है को अस्थि के नाम से निर्दिष्ट करना भी उस युग की प्रणाली रही है। ऊपर प्राचीन वैद्यक * ग्रन्थों के प्रमाणों से अस्थि और माँस का गुठली और गुद्दे के अर्थ में प्रयुक्त होना प्रमाणित किया गया है।
वृक्ष के कठिन भाग एवं फलों के बीज (गुठली) के लिए अस्थि शब्द का प्रयोग हम वैद्यक है एवं जैन साहित्य में अनेक स्थलों पर देख चुके हैं। वैद्यक साहित्य में कपास के अन्दर के कठिन पिण्डैषणा : प्रथम अध्ययन
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Pindesana : Frist Chapter
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