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जीवित है, विमान से पृथ्वी पर उतरे तो उन्हों ने देखा कि श्री हनुमान जी बड़े आनन्द के साथ अपने पांव का अंगूठा चूस रहे हैं, और जिस सुदृढ़ तथा विशाल पर्वत पर गिरे थे वह खंड २ हो गया है । माता अंजना सुन्दरी ने प्रेम से हनुमान जी को छाती से लगाया और उनकी इतनी प्रभावशाली शक्ति को देख कर उन का नाम महावीर रक्खा, परन्तु जब हुणू देश की राजधानी में उनका पहला जन्मोत्सव मनाया गया तो हुए देश के नाम पर इन का नाम श्री हनुमान जी प्रसिद्ध हो गया। __ हनुमान जी वानरवंशी नरेश थे, वानर चिन्ह उनके झन्डे की पहिचान थी। कुछ लोग उनको सचमुच बानर जाति का समझते हैं, परन्तु वास्तव में वे महा सुन्दर कामदेव और मानव जाति के ही महापुरुष थे।
श्री हनुमान जी जैनधर्मी थे। जब तक वे गृहस्थ में रहे अहिंसा धर्म का पालन करते हुये रावण जैसे शक्तिशाली बहिरंग शत्रों पर विजय प्राप्त की और जब ७५० विद्याधर राजाओं के साथ श्री धर्मरत्न नाम के जैन मुनि से दीक्षा लेकर जैन साधु हुये तो कर्मरूपी अन्तरंग शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर तुङ्गी-गिरि से मोक्ष प्राप्त किया और उनकी रानी ने भी बंधुमती नाम की अयिका से साधुका के ब्रत धारे ।
Valmikiji though called Hanuman monkey, speaks bim bighly learned, which is obviously a self contradictory statement. The Jain writers offer an explaination as to how tbey were mistaken for monkeys. Their National Flag bad the figure of a monkey. Their army was called the Vanara Sena. This popular phrase was misinterpreted by the later writers who transformed the Vidvadbaras into monkeys,
- Prof. A. Chakarvarti, M.A.I.E.S. VOY. II p. 5. २ से ४. पद्मपुराण पर्व ११२-११३, पृ० ६५२-६५८ ।
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