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भोग
दुनिया के सामने इस वक्त ये तीन चीजें हैं:
तन आसानी खुदगर्जी ___ यह ठीक त्याग अहिंसा के या परोपकार के उलटे हैं। जब दुनिया उलटो जा रही हो तो इसका दुखी होना कुदरती बात है। सुख तभी प्राप्त होगा जब संसार फिर उसी त्याग तप और अहिंसा का पालन करे।
देश की रक्षा करने वाले जैनवीर
महामहोपाध्याय रायबहादुर पं० गौरीशङ्कर हीराचन्द ओझा जैन धर्म में दया प्रधान होते हुये भी यह लोग वीरता में दूसरी जातियों से पीछे नहीं रहे । राजस्थान में मन्त्री आदि अनेक ऊंची पदवियों पर सैंकड़ों वर्षों तक अधिक जैनी ही रहे हैं,
और उन्होंने अहिंसा धर्म को निभाते हुये वीरता के ऐसे अनेक कार्य किये हैं जिनसे इस देश की प्राचीन उदार कला की उत्तमता की रक्षा हुई। उन्होंने
देश की आपत्ति के समय महान् सेवायें की और उसका गौरव बढ़ाया।
-भूमिका राजपूताने के जैन वीर पृ०.१४ ८]
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