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गलत है जिस तरह आन इससे धोखा हुआ आइन्दा भी भय है, इस लिये वह अपनी पुस्तक को फाड़ने लगा। जो लोग वीर स्वामी के दर्शनों को आये थे उन्होंने पूछा, पण्डित जी यह क्या ? उसने कहा, "मेरी पुस्तक के अनुसार ये चरणरेखायें किसी प्रतापी महाराजा की होनी चाहिये, परन्तु उनके स्थान पर मैं ऐसे साधारण • मनुष्य को देख रहा हूँ कि जिस बेचारे के पाम एक लत्ता तक भी नहीं, मेरा ग्रन्थ ग़लत मालूम होता है, इस के रखने से क्या लाभ' ? लोगों ने समझाया कि पण्डित जी ! जिनको आप साधारण भिक्षक समझते हो ये ता महाराजा सिद्धार्थ के भाग्यशाली राजकुमार हैं, जिन्होंने राज्य काल में किसी भी याचक को खाली हाथ नहीं लौटाया और अब एक ऐसा असाधारण दान देने के लिये तैयार हुए हैं कि जिस को पाकर संसार के समस्त प्राणी सच्चा सुख और शान्ति अनुभव करेंगे। यह सुन कर पंडित जी बड़े प्रसन्न हुए और वीर स्वामी को भक्तिपूर्वक नमस्कार किया।
बाइस परिषहजय "A real Conqueor is the man that having withstood all pains and sorrows has gut over them, and take with him high up, above all worldly miseries, pure and unsoiled his most precious treasure-Soul." -Dr. Albert Poggi : Mahavira's Adrash Jiwan. P. 16. । जैसे ज्ञानी मनुष्य क़र्जे की अदायगी से अपनी जिम्मेदारी में कमी जान कर हर्ष मानता है वैसे ही श्री वर्धमान महावीर दुःखों ओर उपसर्गों को अपने पिछले पाप कर्मों का फल जान कर
१. भगवान् महावीर का आदर्श जीवन, पृ० २४ ।
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