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पल्लववंशी राजाओं की राजधानी कांचीके राजा शिवकोटि विष्णुधर्मी थे, जिन का काञ्ची में भीमलिंग नाम का एक शिवालय था । जैनाचार्य स्वा० समन्तभद्र को भस्मव्याधि रोग होगया, जिससे मनों भोजन खा लेने पर भी इनकी तृप्ति न होती
श्री स्वामी समन्तभद्राचार्य
थी । यह विष्णु संन्यासी का वेश धारण कर के इसी शिवालय में आए। यहाँ सवामन प्रसाद शिवार्पण के लिये आया तो समन्तभद्र जी ने उससे अपनी क्षुधाग्नि शान्त की राजा समझा कि इन्होंने सारे प्रसाद का शिवजी को भोग करा दिया है, वे शिवार्पण के लिये प्रतिदिन सवामन प्रसाद भेज दिया करते थे और ये खालिया
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