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गौरीशंकर हीराचन्द अोझा के शब्दों में, कुमारपाल प्रतापी राजा और जैनधर्म के पोषक थे। एक अंग्रेज विद्वान् के अनुसार “कुमारपाल ने जैनधर्म का बड़ी उत्कृष्टता से पालन किया और सारे गुजरात को आदर्श जैन राज्य बना दिया था।
१४. परिहार बंशी राजपूत कन्नौज के स्वामी थे इस वंश का राजा भोज (८४०-८६०) महा योद्धा सम्राट और जैन गुरु श्री नप्पासूरिजी के प्रेमी थे । महाराजा केकुक्का बड़े बलवान और जैन धर्मी थे । इन्होंने जिनेन्द्र भगवान की भक्ति के लिए जैन मन्दिर बनताया था । ५
१५. चौहान वंशी राजाओं का राज्य नाडौल में ६६० से १२५२ ई० तक रहा । इस वंश के राजा अश्वराज जैन धर्म-प्रेमी थे ।
इन्होंने अष्टमी, चतुर्दशी, दशलक्षण, अठाई पर्व के दिनों में हिंसा • कानून द्वारा बंद कर रखी थी । इनका महायोद्धा पुत्र अल्हणदेव
तो जन धर्म के बहुत ही गाढ़े अनुरागी थे । इन्होंने भी जैनधर्म के पवित्र दिनों अर्थात हर अष्टमी, हर इकादशी और हर चौदश के दिन हर प्रकार की हिंसा को राज-आज्ञा-पत्र द्वारा बन्द कर रखी थी । यह श्री वर्द्धमान महावीर का परम भक्त थे। इन्होंने उनके १. औझा उदयपुर का इतिहास पृ० १४५ २. जैन वीरों का इतिहास और हमारा पतन, पृ० ६५ ३. Some Historical Jain Kings & Heroes. P. 85. ४.५ Kakkuka was a follower of JAINISM'. He built a ____temple ot JINENDRA'. -Ojha: loc. cit P. 148. ६.६. Ashvaraja patronised Jains and gave commands
for full observance of Abinsa in his kingdom on crtain days in the year. His son Alhandeya was also an ardent lover of Jainismi and like his father issued commands for the stopping of •Hinsa' on the 8th, 11th & 14th day of every lunar fortnight.
-SHJK & Heroes P, 85.
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