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मोहम्मद तुगलक ने दिगम्बर आचार्य श्री सिंहकीर्ति जी का सम्मान किया था' । फिरोजशाह तुग़लक की बेगम को दिगम्बर मुनियों के दर्शन करने की बड़ी अभिलाषा थी, इसलिये स्वयं फिरोज़शाह ने अपने दरबार और महल में दिगम्बर मुनियों का स्वागत और उनकी बेगम ने उनके दर्शन किये थे । बादशाह ने उन्हें ३२ उपाधियाँ प्रदान की थीं । रत्नशेखर नाम के जैन कवि का भी फिरोज़शाह ने बड़ा आदर-सत्कार किया था " । ३५ - सैयदवंशी (१४१३ - १४५१ ई० ) राज्य में जैन साधुओं को विशेष सम्मान प्राप्त रहा है । बड़े-से-बड़ा घर भी इन के दर्शनों का अभिलाषी था और स्त्रियाँ तक उनके निकट बिना किसी प्रकार की रुकावट के आती थीं ।
नग्न
३६ - लोदी वंशी ( ९४५१ - १५२६ ई०) राज्य में श्री कुमारसेन प्रतापसेन आदि अनेक दिगम्बर मुनि भारतवर्ष में विचर कर जन-कल्याण कर रहे थे । सिकन्दर निज़ाम लोदी ने दिगम्बर मुनियों का आदर किया था । दिगम्बराचार्य श्री विशालकीर्ति जी ने सिकन्दर के समक्ष वाद किया था ।
Padmavati Basti stone inscription of Humsa (Mysore) Saletore, loc. cit, P. 85.
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Firozshah Tughalaq invited Digambara Jain Saints and entertained them at his Court, and Palace.
- New Indian Antiquary, Vol. I. P. 518.
३-४ वीर (१ मार्च १९३२) वर्ष ६, पृ० १५४ ।
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"The Jain Poet Ratnasekhara was honoured also by Sultan Firozshah. -Der Jainismus, P66. Jain Naked Saints held the highest honour. Every wealthy house was open to them even the apartments of women. -McCrindle's Ancient India, P. 71.
७-८ वीर (१ मार्च १९३२) वर्ष ६, पृ० १५३ - १५४ |
६. मद्रास व मैसूर के जैन स्मारक, पृ० १६३, ३२२ ।
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