Book Title: Vardhaman Mahavir
Author(s): Digambardas Jain
Publisher: Digambardas Jain

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Page 528
________________ के प्रभाव से गाँधी जी अहिंसा के दृढ़ विश्वासी हुए हैं"। डा० पट्टाभि सीतारमैय्या ने इसलिये कहा, "इस सचाई से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि गाँधी जी ने अहिंसा तत्व को जैनधर्म से प्राप्त किया है" | कुमार स्वामीराजा के अनुसार “गाँधीवाद जैनधर्म का ही दूसरा रूप है" । स्वयं महात्मा जी स्वीकार करते हैं, “यूरोप के तत्त्व ज्ञानियों में महात्मा टॉल्स्टाय को पहली श्रेणी और रास्किन को दूसरी श्रेणी का विद्वान समझता हूँ, परन्तु जैन धर्मानुयायी श्रीमद् राजचन्द्र जी का अनुभव इन दोनों से बढ़ा-चढ़ा है । इनके जीवन का प्रभाव मेरे जीवन पर इतना पड़ा है कि मैं वर्णन नहीं कर सकता" । यही नहीं बल्कि उन्होंने बताया, "भगवान महावीर अहिंसा के अवतार थे । इनकी पवित्रता ने संसार को जीत लिया था । अहिंसा तत्व को यदि किसी ने अधिक से अधिक विकासित किया तों JE HETETT farat e” | Dr. Herr Lothar Wendel के अनुसार, “अहिंसा के बिना भारत स्वप्न में भी स्वतन्त्र नहीं हो सकता था" । जब ऐतिहासिक रूप से यह सिद्ध है कि जैन वीर महात्मा गाँधी ने जैन सिद्धान्त-अहिंसा द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराया तो क्या गाँधी जी की विजय जैन सिद्धान्त की विजय नहीं है ? १ "Gandhi ji himself was inspired by Jain Guru".-VOA. II.P.102 २-३ इसी ग्रन्थ के पृ० १७५, ८६, ७७ । ४-६ M. Gandhi: Shri Rajchandra (Raichandra Jain Shashtramala, Kharakua, Johari Bazar, Bombay-2) Bhumika. no “Without non-violence the political independence of India would be un-thinkable." -VOA.Vol. I.ii. P.31. ५०२ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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