Book Title: Vardhaman Mahavir
Author(s): Digambardas Jain
Publisher: Digambardas Jain

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Page 542
________________ ३६ अँगुल चौड़े, ४८ अँगुल लम्बे, मजबूत, मलरहित, गाढ़े, दुहरे, शुद्ध खद्दर के वस्त्र से जो कहीं से फटा न हो, पानी छानना उचित है । यदि बरतन का मुंह अधिक चौड़ा है तो उस बरतन के मुंह से तीन गुणा दौहरा खद्दर का प्रयोग करना चाहिये। और छने हुए पानी से उस छलने को धोकर उस धोवन को उसी बावड़ी या कुए में गिरा देना चाहिये जहाँ से पानी लिया गया हो । यह कहमा कि पम्प का पानी जाली से छन कर आता है, उचित नहीं। क्योंकि जाली के छेद सीधे होने के कारण छोटे सूक्ष्म जीव उन छेदों में से आसानी से पार हो जाते है। यह समझना भी ठीक नहीं है-"म्युनिसिपैलिटी फिल्टर से शुद्ध पानी भरती है इस लिये टङ्की के पानी को छानने से क्या लाभ ?” एकबार के छने हुए पानी में ४८ मिनट के बाद फिर जन्तु उत्पन्न होजाते हैं इस लिये जीव-हिंसा से बचने तथा अपने स्वास्थ्य के लिये छने हुए पानी को भी यदि वह ४८ मिनट से अधिक काल का है, ऊपर लिखी हुई विधि के साथ दोबारा छानना उचित है। ६-रात्रि भोजन का त्यागः अन्धेरे में जीवों की अधिक उत्पत्ति होने के कारण रात्रि में भोजन करना या कराना घोर हिंसा है। यह कहना कि बिजली की तेज रोशनी से दिन के समान चाँदना कर लेने पर रात्रि भोजन में क्या हर्ज है ? उचित नहीं । विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया कि Oxygen तन्दुरुस्ती को लाभ और Carbonic हानि पहुँचाने वाली है। वृक्ष दिन में कारबॉनिक चूसते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिसके कारण दिनमें वायु-मण्डल शुद्ध रहता है और शुद्ध वायु-मण्डल में किया हुआ भोजन तन्दुरुस्ती बढ़ाता है। रात्रि के समय वृक्ष भी कारबॉनिक गैस छोड़ते हैं जिसके कारण- वायुमण्डल दूषित होता है। ऐसे वातावरण में भोजन करना शरीर को हानिकारक है। सूरज की रोशनी का स्वभाव ५१६ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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