Book Title: Vardhaman Mahavir
Author(s): Digambardas Jain
Publisher: Digambardas Jain

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Page 531
________________ ration of Indian Charnbers of Commerce & Industries का सभापति नियुक्त किया और अपना Represen. tative बना कर इनको विदेशों तक में भेजा । डालमिया नगर के जैन मन्दिर में इन्होंने भ० महावीर की इतनी विशाल, मनोहर और प्रभावशाली मूर्ति स्थापित कर रखी है कि घण्टों दर्शन करने पर भी हमारा हृदय तृप्त नहीं हुआ। श्री सम्मेदशिखरजी की यात्रा को जाने वालों के लिये रास्ते में दर्शन करने का यह बड़ा सुन्दर साधन है । सेठ घनश्यामदास जी बिड़ला भी बड़े अहिंसाप्रेमी हैं। इन्होंने धर्म प्रभावना और लोकसेवा के लिये न केवल स्थान २ पर मन्दिर और धर्मशालायें बनवाई, बल्कि अहिंसा की शक्ति को दृढ़ करने के लिये इन्होंने महात्मा गाँधी जी को बड़े-बड़े दान दिये । संसार के प्रसिद्ध व्यापारी सेठ हुकमचन्द जी, जो बम्बई के स्पीकर Hon. K: S. Firodia के शब्दों में Merchant King' और मध्य भारत के मुख्यमन्त्री श्री तख्तमल जी के अनुसार Cotton Prince of India' हैं और जिन्होंने देशउन्नति, समाज-सेवा तथा जैनधर्म की प्रभावना के लिये अनेक अवसरों पर ८० लाख रुपये दान दिये। अपनी आवश्यकता के अनुसार द्रव्य रखकर समस्त व्यापार तथा अरबों रुपये की सम्पत्ति त्याग कर परिग्रह प्रमाण व्रत धारण कर लिया। यदि हमारे देश के सब ही पूञ्जीपति जैनधर्मी साहू शान्तिप्रसाद जी, सेठ हुकमचन्द जी तथा अहिंसाप्रेमी सेठ घनश्यामदास जी बिड़ला के समान देश तथा समाज-सेवा और धर्म प्रभावना के कार्य करें तो निश्चित रूप से हमारा देश स्वर्ग के समान सुख-शान्ति का स्थान बन जाये। गणतन्त्र राज्य में भी नग्न जैन साधु बिना किसी प्रकार की रोक-टोक के मनवांछित स्थानों में विहार करते हैं। जैनियों ने १-३ सेठ हुकमचन्द जी अभिनन्दन ग्रन्थ, पृ० २२०-२२१, १७५, १८८ [ ५०५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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