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सम्राट अकबर जैनधर्मो १
अकबर बादशाह श्वेताम्बर जैन मुनि श्री हरिविजय सूरि का स्वागत कर रहे हैं
३६- अकबर (१५५६-१६०५ ई०) प्रो० रामस्वामी आयङ्गर के कथनानुसार अकबर जैनधर्म में श्रद्धा रखता था' । १७८० ई० में इन्होंने अपना खास दूत गुजरात के सूबेदार साहब खाँ के पास श्वेताम्बर जैनाचार्य श्री हरिविजय सूरि को बुलाने के लिये भेजा २ राज्य-सवारी में न बैठ कर वह पैदल ही गुजरात से आगरा आये। अकबर उनकी इस धार्मिक दृढ़ता को देख कर आश्चर्य करने लगा और बड़ी धूम-धाम के साथ उनका स्वागत किया । Bhandarkar Commemoration, Vol. I. P. 26 से स्पष्ट है. “श्री हरिविजय सूरि ने सम्राट अकबर को जैन बनाया था और अकबर ने इनको जगद्गुरु की पदवी प्रदान की थी
१. कृष्णलाल वर्माः अकबर और जैनधर्म भूमिका पृ० 'क' । २-५ अकबर और जैनधर्म (श्री श्रात्मानन्द जैन ट्रैक्ट सोसायटी, अम्बाला शहर ) पृ० ८-१० ।
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