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सोमवार' और अमावस्या', मङ्गलवार के बीच में प्रातःकाल' जब चौथे काल के समाप्त होने में तीन वर्ष साढ़े आठ महीने बाकी रह गये थे, केवल ज्ञान के प्राप्त होने के २६ साल ५ महीने २० दिन वाद६, ७१ वर्ष ३ महीने २५ दिन की आयु में भगवान महावीर ने मल्लों की पावापुर नगरी में निर्वाण प्राप्त किया । स्वर्ग के देवताओं ने उस अन्धेरी रात्रि में रत्न बरसा कर रोशनी की' । जनता ने दीपक जला कर उत्साह मनाया। राजाओं ने वीर निर्वाण की यादगार में कार्तिक वदी चौदश और अमावस दोनों रात्रियों को हरसाल दीपावली पर्व की स्थापना की २ उस समय भ० महावीर की मान्यता ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
और शूद्र चारों वर्ण वाले करते थे, इसलिये दीपावली के त्योहार को आज तक चारों वर्णों वाले बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं ! ____ आर्यसमाजी महर्षि स्वामी दयानन्द जी, सिक्ख छठे गुरु श्री हरगोबिन्द जी, हिन्दु श्री रामचन्द्र जी, जैनी वीरनिर्वाण और कुछ महाराजा अशोक की दिग्विजय को दीपावली का कारण बताते हैं। कुछ का विश्वास है कि राजा बलि की दानवीरता से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने धनतेरस से तीन दिन का उत्सव मनाने के लिये दीपावली का त्योहार प्रारम्भ किया था और कुछ का १-४. Lord Mahavira's Commemoration Vol. I. P. 9 1-100. ५. श्री जिनसेनाचार्यः हरिवंशपुराण, सर्ग ६६, श्लोक १५-१६ । ६. वासाणूणत्तीसं पंच य मासे य वीसदिवसे य ।
चउविह अणगारे हिं बारहहि गणेहि विहरंतो ॥१॥ धवल । ७ Anekant (Vir Seva Mandir: Sarsawa) Vol XI. P. 99. ८-६. IT H. Jacobi: Mahavira's Commemoration Vol. I. P. 45. १.. श्री गुणभद्राचार्यः उत्तरपुराण, पर्व १६ । २१.१३. जैन प्रचारक (अक्तूबर १९४०) पृष्ठ १३, जैनधर्म दि० जैन सङ्घ) पृष्ठ ३२४
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