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रहमान चिश्ती ने "मीराते मसऊदी" में लिखा है:
"मसूद की सेना वहरायच में १७ वीं शावान को ४२३ हिजरी (१०३३ ई०) में पहुंची थी, उसमे हिदुओं को परास्त किया था इसके बाद सुहिलदेव ने युद्ध का संचालन अपने हाथ में लेकर मुसलसानों का मुंह मोड़ा। मुसलमान हार कर भाग स्वड़े हुए। सुहिलदेव ने उन्हें उनके पड़ाव बहरायच में आ घेरा । यहां रज्जबुल मुरज्जकी १८ वीं तारीख को ४२४ हिजरी (१०३४) में मसऊद अपनी सारी सेना सहित मारा गया २" | ___मेवाड़ के हकदार महाराणा उदय सिंह थे। उनके बालक होने के कारण बनबीर को उनकी तरफ से गद्दी पर बैठा दिया। इस भय से कि बड़ा होकर उदयसिंह अपने राज्य को वापस न लेले वे इस रोड़े को बीच में से निकालने के लिये, तलवार लेकर महल में आये । पन्ना नाम की धाय ने भांप लिया उदयसिंह को पालने में से उठाकर उनकी जगह अपने बच्चे को लेटा दिया। बनबीर ने पूछा कि उदयसिंह कहां है ? तो उसने पालने की तरफ इशारा कर दिया । बनवीर ने धाय के बच्चे को उदयसिंह समझकर मार दिया परन्तु वीर धाय ने अपने सामने अपने इकलौते बालक को कत्ल होते हुये देखकर भी उफ न की और उदयसिंह को एक टोकरे में बैठा कर चुपके से निकल पड़ी और मेवाड़ के अनेक सरदारों
और जागीरदारों को महाराणा मेवाड की रक्षा के लिये कहा परन्तु वनवीर के भय से सबने जवाब दे दिया तो वह आशाशाह के पास गई और उन्हें उदयसिंह के अभयदान के लिये कहा । वे वनवीर
१. सरस्वती. भा० ३४ सं० १ पृ. ३०-३१ । २. “सौलाते मसऊदी, तवारीखे सुवत्तगीन. मीराते मसऊदी तवारीखे मुहम्मदी
ayn Journal of Asiatic Society of Bargul (special Number 1892) and Journal of Asiatic Society, Bombay, Special
Number 1892." ३. राजपूताने के जैन वीर पृ० ७४-७६ and Todd's Rajisthan
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