________________
कि हमारा न्याय यहां का राजा बसु करेगा और जो झूठा होगा उस की जीभ छेदन कर दी जायेगी । यह तय करके पर्वत अपनी माता स्वस्तिमती के पास आया और नारद की बात कही, माता ने कहा कि नारद सच कहता है । जो बोई जाने पर न उगे ऐसी पुरानी शाली तथा पुराना यव (जौ) का नाम अज है छला नाम नहीं, तुमने गलत अर्थ बताया । यह सुन कर उस ने कहा कि कुछ उपाय करो वरन् मामला राजा के पास जायेगा और जिस को वह झूठा कह देगा उस की जीभ काट दी जावेगी, तुम मेरी माता हो सङ्कट के समय अवश्य मेरी सहायता करो । माता बेटे के मोह में राजा बसु के पास गई और उससे कहा कि तुम ने जो मुझे वचन दे रखे हैं, उन्हें आज पूरा करदो । राजा ने कहा माँगो क्या माँगती हो मैं अवश्य अपने वचन पूरे करूँगा । उस ने कहा मेरे बेटे पर्वत पर बड़ा सङ्कट आन पड़ा, कृपा करके उसको दूर करदो । राजा ने कहा कि बताओ उसको किसने सताया है ? मैं अवश्य उस की सहायता करूँगा ।
उस ने कहा - " पर्वत ने मांस भक्षण के लोभ से अज का मतलब छैला ( बकरा ) बता कर बड़ा पाप किया 1 नारद ने उसे समझाया कि इसका मतलब न उगने वाले जौ से है परन्तु पर्वत अपनी बात पर यहां तक अड़ा कि उस ने कहा कि राजा बसु से न्याय कराऊँगा । वह जिस को झूठा कहेंगे उस की जीभ काट ली जावेगी । हे राजन् ! यह सच है कि नारद सच्चा है, परन्तु मेरी सहायता करो, ऐसा न हो कि पर्वत की जीभ काट ली जाये । राजा यह सुन कर चिन्ता में पड़ गया कि भरी सभा में झूठ कैसे कहा जावेगा ? राजा को चुप देख, स्वस्तिमती ने कहा कि क्या अपने वचनों का भी भय नहीं ? राजा ने मजबूर होकर कहा कि अच्छा ! वचनों की पर्ति होगी ।
1
दूसरे दिन नारद और पर्वत राजा के दरबार में गये । नारद
[ ३८१
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com