________________
महाराजा श्रेणिक ने पूछा कि पञ्चम काल में मनुष्य कैसे होंगे ? उत्तर में सुना - "दुखमा नाम का पंचम काल २१ हजार वर्ष का है' । इस काल के आरम्भ में मनुष्य की आयु १२० वर्ष और शरीर सात हाथ का होगा, परन्तु घटते घटते पंचम काल के अन्त में आयु २० साल की और शरीर २ हाथ का रह जायेगा । इस काल में तीर्थंकर, चक्रवर्ती, नारायण आदि नहीं होंगे और न अतिशय के धारी मुनि होंगे, न पृथ्वी पर स्वर्गों के देवों का आगमन होगा और न केवल ज्ञान की उत्पत्ति होगी । पंचमकाल के अन्त होने में तीन वर्ष साढ़े आठ महीने रह जायेंगे, तब तक मुनि, अयिकाएँ, श्रावकाएँ पाई जायेंगी । ये चारों भव्य जीव पांचों या छठे गुणस्थान के भावलिंगी हैं तो भी प्रथम स्वर्ग में ही जायेंगे । ऐसे मनुष्य भी अवश्य होंगे जो श्रावक व्रत को धारण करेंगे, जिस के फल से विदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त कर लेंगे ६१ ।
५
एक प्रभावशाली, बलवान और अत्यन्त सुन्दर नवयुवक को समवशरण में बैठा देख कर श्रेणिक ने पूछा कि यह महातेजस्वी कौन है तो उन्होंने उत्तर में सुना - "यह विजयनगर के सम्राट मन्नू कुम्भ का राजकुमार आदि विजय है । पिछले जन्म में यह महा दरिद्री, रोगी और दुःखी था, जिस से तङ्ग आ कर इसने
Raja Sharenika of Magadha, contemporary of Mahavira Swami, had discovered the places of the Tirthankaras and established charan at Samedshik hara"
-Honble Justice T. D. Banerji of Patna High Court in the decision of Shri Samedshit hara ji case.
६. वर्धमान पुराण (हाथ का लिखा हुआ, ला० जम्बूप्रसाद, सहारनपुर जैन मन्दिर) पृ० १४० ।
2.
२- ३.
४-५.
महावीरपुराण (कलकत्ता) पृष्ठ १७१ ।
पं० माणकचन्द : धर्म फल सिद्धान्त पृ० १८२ ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
[ ३७६
www.umaragyanbhandar.com