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क्षरण में इस बुरी भावना पर पश्चात्ताप करने लगी। अपने हृदय को दुत्कारा और शान्त मन करके समाधिमरण किया । अपने शुद्ध परिणामों तथा संयम, तप और त्याग के कारण वह सोलहवें स्वर्ग में सोमभूति नाम के देव की महासुखों को भोगने वाली पत्नी हुई | सोमदत्त का जीव युधिष्ठिर है इसका सोमिण नाम का भाई भीम है । सोमभूति का जीव अर्जुन है, धनश्री का जीव नकुल है, मित्रश्री का जीव सहदेव है. दुर्गंधा का जीव, जो पहले नागश्री था द्रोपदी है । संयम, तप, त्याग और आहार दान के कारण युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन आदि इतने बलवान् और योद्धा वीर हुए । तप के कारण द्रोपदी इतनी सुन्दर और भाग्यशाली है | चूँकि उसने वसन्त सेना के पांच पुरुषों के साथ भोग-विलास की अभिलाषा एक क्षणमात्र के लिए की थी, इस के कारण इस पर पांच पति होने का दोष लगा ।
श्रेणिक बिम्बसार ने सम्मेद शिखर जी की यात्रा का फल पूछा तो उन्होंने वीर वाणी में सुना कि कोटाकोटी मुनियों के तप करने और वहां से निर्वाण (Salvation ) प्राप्त कर लेने के कारण सम्मेद शिखर जी' इतनी पवित्र भूमि है कि जो जीव एक बार भी श्रद्धा और भक्ति से वहाँ की यात्रा कर लेता है तो वह तिरयञ्च, नरक या पशु गति में नहीं जा सकता । उस के भाव इतने निर्मल हो जाते हैं कि अधिक से अधिक ४६ जन्म धार कर ५० वें जन्म तक अवश्य मोक्ष (Salvation) प्राप्त कर लेता है | श्रेणिक ने वहां की इतनी उत्तम महिमा जान कर बड़ी खोज के बाद चौबीसों तीर्थकरों के पक्के टोंक स्थापित कराये ।
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९. बिहार प्रान्त के इसरी नाम के रेलवे स्टेशन से १८ मील पक्की सड़क पर । २. सम्मेद शिखर जी का महात्म्य, दिगम्बर जैन पुस्तकालय सूरत । मूल्य ||) ३. “ The Hindu Traveller's Account publiohed in Asiatic Society's Journal for January 1824 Preveals the fact, how
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