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श्री व्यास जी के शब्दों में -हिन्दू धर्म के तो समस्त १८ पुराण अहिंसा की ही महिमा से भरपूर हैं' । वैदिक, बौद्ध', मुसलमान', सिक्ख, इसाई६ पारसी आदि धर्मों में भी अहिंसा को बड़ा उत्तम स्थान प्राप्त है।। ____डा० कालीदास नाग ने अहिंसा सिद्धान्त की खोज और प्राप्ति को संसार की समस्त खोजों और प्राप्तियों से महान सिद्ध करते हुए न्यूटन के Law of Gravitation से भी अधिक बताया है । डा० राजेन्द्रप्रसाद जी ने अहिंसा जैनियों की विशेष सम्पत्ति कही है । सरदार पटेल के शब्दों में अहिंसा वीर पुरुषों का धर्म है । भारत जैनियों की अहिंसा के कारण पराधीन नहीं हुआ'' बल्कि स्वतन्त्र ही अहिंसा की बदौलत हुआ है।
श्री महात्मा गाँधी जी अहिंसा के महान् पुजारी थे, उन्होंने यह भाव भी जैन धर्न ही से प्राप्त किये थे'३ । महात्मा गाँधी जी जैसे महापुरुष स्वयं महावीर स्वामी को अहिंसा का अवतार मानते हैं। ४ । चीन के विद्वान् प्र० तान युनशां ने अहिंसा का सब से पहला स्थापक जैन तीर्थंकरों को स्वीकार किया है। ___जैन धर्म के अनुसार राग द्वेषादि भावों का न होना अहिंसा है और उनका होना हिंसा है'६ । अहिंसा को विधिपूर्वक तो मुनि
और साधु ही पाल सकते हैं, जिनके उत्तम क्षमा है, जो वैरागी हैं, जिनको कष्ट दिये जाने पर भी शोक नहीं होता । 'गृहस्थी को इस
१. अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् ।
परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥-व्यास जी : मारकण्डेयपुराण २-११ इसी ग्रन्थ के पृ० ६६, ४८, ६४, ६७.६०, ६३, ६६. ७८, ७६, ११. । १२.१३ जैन धर्म और महात्मा गांधी. खण्ड ३ । १४-१५ इसी ग्रन्थ का पृष्ठ ७७, १७६ ।
१६ श्री अमृतचन्द्र आचार्यः पुरुषार्थ सिद्धयुपायः श्लोक ४३-४४ ।
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