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के ही वश में आ सकते हैं। आपको याद होगा कि कौशिक जैसे तपम्वी का तप मेनका नाम की अप्सरा ने थोड़ी सी देर में नाचकूद कर भङ्ग कर दिया था, जिस से भोग-विलास करने पर शकुन्तला नाम की लड़की उत्पन्न हुई । चलो हम देखते हैं, वे कैसे वीर हैं, जो तप से नहीं डिगते"। ___ स्वर्ग की अनेक महान सुन्दरी, नवयुवती, कोमल शरीर देवाङ्गनाएँ रङ्ग बिरंगे चमकीन वस्त्रों और अमूल्य रत्नों से झिलमिलाते हुए आभूषण व सज-धज कर, बड़े मधुर शब्दों में प्रेम भरे गीत गाकर वीर स्वामी के चारों तरफ नाचने लगीं। अधिक देर तक इसका कोई प्रभाव वीर स्वामी पर न देख, वे कहने लगीं-"आपके प्रभावशाली और उत्तम तप से प्रसन्न होकर इन्द्र महाराज ने हमें आपकी सेवा में भेजा है। जिनकी अभिलाषा के लिये बड़े-बड़े चक्रवर्ती सम्राट एड़ियां रगड़ते हुए मर गए और जिनकी प्राप्ति महा-भयानक युद्ध, कठोर तपस्या, तन्त्र-मन्त्र आदि पर भी दुर्लभ है, धन्य है ! वीर प्रभु, आपको कि वे आज आपकी आज्ञा का पालन करने के लिए स्वयं आपके द्वार पर खड़ी हैं"। श्री वर्धमान महावीर का कोई उत्तर न पाकर उन्होंने अपनी मायामयी शक्ति से वीर स्वामी के मन को चंचल कर देने और काम चेष्टा को उभारने के अनेक साधन जुटा दिये । परन्तु बृक्षों को उखाड़ रेट वाली तेज हवा वर्तमान महावीर के तप रूपी पर्वत को न डिगा सकी। अपने सारे दांव-पेंच खाली जाते देख कर वे सब वीर स्वामी के चरणों में झुक कर गिड़गिड़ाने लगीं, "वीर प्रभु ! आप तो बड़े दयालु हो, हमने तो सुन रखा था कि आप किसी का हृदय किसी प्रकार भी नहीं दुखाते, पान्तु हम तो आज यह अनुभव कर रही हैं कि आप वज्र१ भगवान् महावीर का आदर्श जीवन. पृ० ३०१ । ३२८ ]
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