________________
और अकृत्रिम' है। __संसार में यह जीव कर्मानुसार भ्रमण कर रहा है । अनन्तानंत
अर्थ संसार रूपी वृक्ष' सनातन है । (४) गीता- 'ऊर्ध्वमूलमधः शाश्वमश्वस्थं साहुख्ययाम् । -गीता अ० १५-१ ।
अर्थ-यह अर्ध्वमूल और अधः शाख वाला संसार रूपी वृक्ष अव्यय . (सनातन) नित्य है। (५) महाभारत-"सदार्पणः सदा पुष्पः शुभाशुभ फलोदयः । आजीव्य सर्वभूतानां ब्रह्मवृक्षः सनातनः ॥
-अश्वमेध पर्व, अ० ३५-३७-१४ । अर्थ-यह जगत रूपी वृक्ष, चांद, तारे आदि पुष्पों और फलों से सदा
प्रफुल्लित रहता है । यह सनातन है, न कभी बना है और न
कभी बिगड़ेगा। (६) The Soul being incorporeal is simple; since
thus it is both uncompound and indivisible into parts, so the soul is immortal.
-Ante Nicene Christian Library. xx. 115. (७) For non-jain references, Anekant:, Vol.VII.P.39. (E) Soul is simple, eternal, deathless and immortal:
(a) English Psychologist. William McGougall. (b) English Thinker. Prof. Bowne • Metaphysics. (c) Haeckel : The Riddle of the Universe, P. 18. (d) Prof. Dr. M. Hafiz Syed :VOA.Vol III.P.10. (e) Lokamania B.G. Tilk: Kaisri, 13th Dec. 1910. (f) Prof. Ghasi Ram: Cosmology Old & New.
(g) हिन्दी तथा अंग्रेजी जैनग्रन्थ त्रिलोकसार, गोमटसार, द्रव्य संग्रह । . (१) जब ईश्वर प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता तो उसके होने का प्रमाण क्या ?
जब हम एक मकान को देखते हैं तो निश्चित् रूप से यह समझ लेते हैं कि इसके बनाने वाला जरूर कोई कारीगर है क्योंकि हमने हमेशा मकान को कारीगरों द्वारा बनते देखा है, लेकिन कुदरती बातों को हमने
३४२ ]
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com